बिहार

विपक्षी दलों केे नए गठबंधन से भाजपा में घबराहट: दीपंकर 

कहा-पटना और बेंगलुरु का संदेश भारत के हर कोने में पहुंचाने की जरूरत

पटना। भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि बेंगलुरु में विपक्षी दलों की सफल दूसरी बैठक से अपने संक्षिप्त रूप में इंडिया नाम के साथ बने एक नए गठबंधन ने मोदी शासन को स्पष्ट रूप से परेशान कर दिया है। उसी दिन भारत के सभी कोनों से पार्टियों को ढूंढ-ढूंढ कर और नई-नई पार्टियों को निर्मित करके दिल्ली में एक समानांतर ‘गठबंधन’ खड़ा करने की बेताबी मोदी शासन की बढ़ती घबराहट को ही दर्शाता है।

विपक्ष की पहल अगले 50 वर्षों तक भारत पर बिना किसी चुनौती के शासन करने के भाजपा के अहंकारपूर्ण दंभ के बिल्कुल विपरीत है। एक साल पहले पटना में जेपी नड्डा का वह अहंकारपूर्ण बयान हम सबको याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में क्षेत्रीय पार्टियों के दिन लद गए हैं। इस साल 9 फरवरी को राज्यसभा में नरेंद्र मोदी के ‘एक अकेला’ के दावे को भी याद करने की जरूरत है जब उन्होंने कहा था कि एक आदमी इस देश में कई लोगों की सामूहिक ताकत से भारी साबित हुआ है। सत्ता के नशे में चूर अहंकारी भाजपा आज 2024 के चुनावों से पहले निष्क्रिय पड़े एनडीए के बैनर को पुनर्जीवित करने की पूरी कोशिश कर रही है। इसी अहंकार के कारण शिवसेना, अकाली दल और जदयू जैसे उसके कई पुराने सहयोगियों ने भाजपा से रिश्ता तोड़ लिया। अब वही भाजपा इन पार्टियों को विभाजित करने और अलग हुए समूहों को अपने सहयोगियों के रूप में समायोजित करने की कोशिश कर रही है। इसने राम विलास पासवान के निधन के बाद एलजेपी में विभाजन कराया था और अब एकल पार्टी के दो नए-नवेले सहयोगियों के रूप में उन्हें पेश कर संख्या बढ़ाने का खेल खेल रही है।

घबराया हुआ मोदी खेमा अब इंडिया को भारत के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, जिससे एक बार फिर भारत के संविधान के प्रति उसकी अवमानना उजागर हो रही है. भारत के संविधान का पहला अनुच्छेद कहता है, इंडिया, दैट इज भारत, शैल वी ए यूनियन आफ स्टेट’. मोदी सरकार इंडिया और भारत के बीच दरार पैदा करना चाहती है और भारत के राज्यों को एक अति-केंद्रीकृत केंद्र सरकार के उपनिवेशों की स्थिति में लाना चाहती है। मोदी सरकार शासन का केवल एक ही मॉडल चलाना जानती है। वह भारत के लोकतंत्र की संवैधानिक नींव और संघीय ढांचा, भारत के सामाजिक ताने-बाने की समग्र संस्कृति और विविधता, भारत के नागरिकों के अधिकार और स्वतंत्रता तथा भारत के लाखों मेहनतकशों का अस्तित्व व सम्मान पर हमले के बिना शासन नहीं चला सकती है।
भारत को इस आपदा से उबरने के लिए अपनी पूरी ताकत लगानी होगी जिसके बारे में डॉ. अंबेडकर ने भारत के संविधान को अपनाने के समय ही हमें आगाह किया था। एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य की संवैधानिक दृष्टि को मोदी शासन द्वारा देश में पैदा की गई चैतरफा अराजकता और संकट के दुःस्वप्न पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
पटना और बेंगलुरु का संदेश अब भारत के हर कोने में लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए। भाजपा को हराने के लिए आगामी चुनाव को एक सशक्त जनआंदोलन के रूप में लड़ना होगा। लड़ाई तो अभी शुरू हुई है।हम लड़ेंगे, हम जीतेंगे।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button