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साइंस फॉर सोसायटी झारखंड ने जे सी बोस मेमोरियल व्याख्यानमाला-5 के तहत परिचर्चा किया आयोजित

ऑनलाइन परिचर्चा में बड़े बड़े विद्वान जनों ने भाग लिया

चुन्नु सिंह

साहिबगंज (झारखण्ड)

साइंस फॉर सोसायटी झारखंड ने कल 16 मार्च को जे सी बोस मेमोरियल व्याख्यानमाला की 5 वीं कड़ी के तहत एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया। 2024 भारतीय संविधान का 75वां वर्ष है तथा साइंस फॉर सोसायटी झारखंड ने इसे वैज्ञानिक चेतना वर्ष के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसी जन चेतना अभियान के तहत आयोजित उक्त परिचर्चा का विषय था – ” झारखंड में जे सी बोस की विरासत को बचाने, आगे बढ़ाने की चुनौतियां एवं संभावनाएं”। परिचर्चा के मुख्य वक्ता थे – प्रो. अश्विनी कुमार श्रीवास्तव, पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, बीरबल साहनी पुरा वनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ अली इमाम खां,(प्रमुख शिक्षाविद एवं विज्ञान संचारक) अध्यक्ष साइंस फॉर सोसायटी, झारखंड ने की जबकि संचालन डी एन एस आनंद, महासचिव, साइंस फॉर सोसायटी, झारखंड एवं अनंत नाथ गिरि (युवा विज्ञानी), बोकारो ने किया।

डी एन एस आनंद ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि मौजूदा झारखंड का गिरिडीह देश के महान वैज्ञानिक जे सी बोस की न सिर्फ कर्मभूमि रही है बल्कि यहां उनका अपना घर भी था जहां आजादी के पूर्व 23 नवंबर 1937 को उनका निधन हुआ था। उन्होंने उनकी विरासत को बचाने एवं आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में झारखंड सरकार के कैबिनेट ने गिरिडीह में जे सी बोस यूनिवर्सिटी की स्थापना को मंजूरी दी है। जबकि उनसे संबंधित विभिन्न संगठनों की कई मांगें अब भी लंबित है तथा इसके लिए और प्रयास की जरूरत है।

अनंत नाथ गिरि ने मुख्य वक्ता प्रो. अश्विनी कुमार श्रीवास्तव का परिचय कराते हुए उनके अब तक के कार्यों एवं उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी दी।

अपने संबोधन में प्रो. श्रीवास्तव ने इससे संबंधित विभिन्न प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष जानकारी की चर्चा करते हुए जे सी बोस की विरासत को बचाने पर बल दिया। उन्होंने आजादी के इतने सालों बाद भी गिरिडीह स्थित जे सी बोस के आवास पर लॉकर में बंद सामग्री को सामने नहीं लाए जाने पर आश्चर्य व चिंता व्यक्त की। हालांकि इस संबंध में विभिन्न संगठनों द्वारा जारी पहल की सराहना करते हुए उन्होंने इसमें हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

परिचर्चा में विचार व्यक्त करने वालों में शामिल थे –

डॉ काशी नाथ चटर्जी, महासचिव, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, शंकर कुमार पाण्डेय, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता गिरिडीह, डॉ रणजीत कुमार सिंह, भू वैज्ञानिक एवं प्राचार्य, मॉडल कॉलेज राजमहल साहिबगंज, कुमार सत्येन्द्र, सचिव जनवादी लेखक संघ झारखंड, पुष्पलता कुमारी, साइंस फार सोसायटी दुमका, डॉ एस के नारंग, कार्यकारी अध्यक्ष साइंस फॉर सोसायटी झारखंड एवं अन्य। वक्ताओं ने जे सी बोस की विरासत के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए उसे बचाए जाने पर बल दिया।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ अली इमाम खां ने इस क्रम में मौलिक शोध को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कहा कि हमलोग वहां रिसर्च सेंटर की मांग करते रहे हैं। वैसे भी मौलिक शोध में झारखंड पीछे है अतः राज्य में रिसर्च नेटवर्किंग विकसित करने के लिए झारखंड स्टेट रिसर्च कौंसिल बने। इससे युवा पीढ़ी को जोड़ा जाए तथा पीपुल्स ओरिएंटेड रिसर्च आगे बढ़े। पृथ्वी विज्ञान या भू विज्ञान geology की पढ़ाई क्लास 8 से ही होनी चाहिए ताकि छात्र छात्राओं को पृथ्वी और पर्यावरण की जानकारी बचपन में ही होना चाहिए।

उन्होंने झारखंड में अर्थ साइंस को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए जन जागरूकता की जरूरत है और इसके लिए सतत जन संवाद, जन चेतना अभियान की। उन्होंने कहा कि झारखंड में संभावनाएं बहुत है उसको एक्सप्लोर किए जाने की जरूरत है पर इसके लिए न सिर्फ सरकार बल्कि जन सहयोग, जन भागीदारी भी जरूरी है।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन साइंस फॉर सोसायटी झारखंड के राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य अरुण राम, लोहरदगा ने किया। साहिबगंज जिले से बाल वैज्ञानिक सानिया और मो कैफ आदि जुडें ।

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