बिहारराजनीति

शिक्षक अभ्यर्थियों पर लाठी चार्ज निंदनीय : डॉ संजय जायसवाल

कहा-नीतीश कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के 'एजेंट ' बनकर विपक्षी दलों को एकजुट करने का असफल प्रयास कर रहे 

पटना । भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने पटना में शिक्षक अभ्यर्थियों पर हुए लाठी चार्ज की निंदा करते हुए नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि बिहार के ‘अति महात्वाकांक्षी’ मुख्यमंत्री नितीश कुमार, ‘निपढ’ उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एवं ‘कुपढ़’ शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने लाखों शिक्षक अभ्यर्थियों के भविष्य पर, उनके सपनो एवं उनके मेहनत पर लात मारकर यह साबित कर दिया की उनके एजेंडे में किसी को रोजगार देना नहीं है।

भाजपा प्रदेश कार्यालय में एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि भाजपा पहले से कहती थी की महागठबंधन का निर्माण बिहार में विनाश करने के लिए किया गया है और यह सरकार उन आशंकाओं पर शत प्रतिशत खरी उतरी है। भाजपा नेता ने कहा कि विगत 11 महीने में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में 8 बार संशोधन करके यह स्थापित कर दिया गया है कि यह सरकार अटकाने, लटकाने एवं भटकाने की रणनीति पर कार्य कर रही है। 10 लाख सरकारी नौकरी देने के वादे पर बनी महागठबंधन सरकार 11 महीने में 11 लोगों को भी नौकरी नहीं दे सकी है।
उन्होंने कहा कि इसके बाद किसी को नौकरी नहीं मिलने की गारंटी हो गयी है। बिहार के युवा जब एक अदद नौकरी के लिए वर्षों से मेहनत करके अपना हक़ मांगते हुए लाठियां खा रहे हैं तब जंगलराज के ‘युवराज’ विदेश में छुट्टियाँ मना रहे हैं ।
डॉ. जायसवाल ने कहा कि कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों में लोगों को बहला कर लिया गया वोट अब अपना अधिकार मांग रहा है और तब जनता सड़कों पर बर्बर तरीके से पीटे जाने को श्रापित है। बिहार में अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात बताते हुए भाजपा नेता ने कहा कि यह 11 महीने में चौथी बर्बर कारवाई है जिसमें पीटकर छात्र पी.एम.सी.एच. भर्ती कराये गए हैं।
उन्होंने कहा कि एक छात्र की पिटाई पुलिस के कब्जे में की गयी है, जिसकी हालत गंभीर हो गयी थी तब जाकर पुलिस ने उसे पी.एम.सी.एच में भर्ती किया और आनन फानन में उसका इलाज कराया गया और उसे अस्पताल से जबरन छुट्टी भी करायी गयी।
उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में बिहार की कमजोर जनता एवं छात्रों में भय एवं रोष दोनों विद्यमान है और छात्रों को उनके भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं हैं।बेतिया के सांसद ने कहा कि भाजपा ने 18 महीने की अपने शासन अवधि में 2.34 लाख सरकारी नौकरियां देकर एवं 36 हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश आकर्षित करके प्रदेश के सार्वभौमिक विकास पर काम शुरू किया था, लेकिन यह स्थिति नितीश कुमार एवं तेजस्वी यादव को पसंद नहीं आई इसीलिए हमें शासन से बाहर का रास्ता दिखाया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा आगामी 13 जुलाई को गाँधी मैदान से विधानसभा मार्च करेगी जिसमें बिहार के हजारों युवा शामिल होंगे ।
उन्होंने इस मार्च में युवाओं को भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि इस बर्बर सरकार को समाप्त करना ही हमारा अगला लक्ष्य है और अगर बिहार के युवा इसमें आहुति देंगे तो सही मायने में कोई जन सरोकार वाली सरकार बिहार में शासन आएगी और राज्य का समुचित विकास सुनिश्चित होगा ।
पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. जायसवाल ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार जान चुके है कि उनकी जमीन बिहार में समाप्त हो चुकी है, इस कारण वे विधायकों और सांसदों से मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की राज्य में पहुंच और पकड़ समाप्त हो गई है तो वे अब इनलोगों से कुछ आइडिया लेना चाह रहे हों, लेकिन बुझे और फूंके हुए कारतूस में कुछ भी भर दें, वह बुझा हुआ ही रहता है। नीतीश अब राजनीति में बुझा हुआ कारतूस हैं।
नीतीश के भाजपा के साथ फिर से आने के सवाल पर भाजपा नेता ने साफ शब्दों में कहा कि भाजपा कृत्संकल्पित है कि वह अब कभी भी नीतीश कुमार को साथ नहीं लेगी। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि नीतीश कुमार को भय है कि कहीं महागठबंधन इस बार पलटी मारकर कहीं तेजस्वी यादव को सीएम न बना दे। इसी पलटी मारने के भय के कारण वे सांसदों और विधायकों को बुला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की हालत ऐसी हो गई है कि यहां विपक्षियों की बैठक में घोषणा होती है कि अगली बैठक हिमाचल प्रदेश में होगी और शरद पवार वहां घोषणा करते हैं कि अब बैठक बेंगलुरु में होगी, नीतीश को यह सूचना भी टीवी और पेपर के माध्यम से मिलती है।
उन्होंने साफ लहजे में कहा कि नीतीश कुमार कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के एजेंट बनकर विरोधियों को एकजुट करने का असफल प्रयास कर रहे हैं, हालांकि राहुल गांधी भी नीतीश पर भरोसा नहीं करते।
इस प्रेस वार्ता में भाजपा प्रदेश के मुख्यालय प्रभारी सुरेश रूंगटा, प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अजीत चौधरी उपस्थित रहे।

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