बिहारराजनीति

नफरत-विभाजन और शैक्षणिक केंद्रों हमले के खिलाफ आज से सद्भावना एकजुटता अभियान शुरू

पटना। रामनवमी के दौरान बिहारशरीफ सहित राज्य के कई हिस्सों में उन्माद-उत्पात, नफरत-विभाजन और शैक्षणिक केंद्रों को नष्ट करने की विध्वंसकारी भाजपाई राजनीति के खिलाफ आज से भाकपा-माले का सद्भावना एकजुटता अभियान शुरू हो गया है. विदित हो कि 11 अप्रैल महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले का जन्म दिन है, वहीं 14 अप्रैल डॉ. भीमराव अम्बेडकर का. भाकपा-माले ने 11 से 14 अप्रैल तक का यह राज्यव्यापी कार्यक्रम लिया है.

राजधानी पटना में दारोगा राय स्थित ज्योतिबा फुले जयंती पर उनकी मूर्ति पर माले नेताओं द्वारा माल्यार्पण किया. इस अवसर पर पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व विधायक राजाराम सिंह, ऐपवा राज्य सचिव शशि यादव, पटना महानगर के सचिव अभ्युदय, जितेंद्र कुमार, वरिष्ठ नेता केडी यादव, संजय कुमार, मुर्तजा अली, मालती देवी आदि कई लोग उपस्थित थे.

माल्यार्पण के उपरांत राजाराम सिंह ने कहा कि बिहारशरीफ में मुस्लिम समुदाय की न केवल दुकानें लूटी और जलाई गईं, बल्कि ऐतिहासिक अजीजिया मदरसा और पुस्तकालय को जलाकर पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. सोगरा कॉलेज में भी आग लगाई गई. करीब 100 साल पहले इस मदरसे की स्थापना अब तक गुमनामी के अंधेरे में रहीं राज्य की संभवतः पहली मुस्लिम महिला शिक्षाविद बीबी सोगरा द्वारा किया गया था. शिक्षा के केंद्रों पर फासीवादियों का यह हमला बेहद सुनियोजित है. 18 वीं सदी में शोषित-वंचित तबकों की शिक्षा के लिए ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले ने जो काम किया था, बिहार में वही काम बीबी सोगरा कर रही थीं. भाजपाइयों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ. शैक्षणिक केद्रों पर ऐसा हमला बिहार कभी स्वीकार नहीं करेगा.

ऐपवा की सचिव शशि यादव ने कहा कि मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है, लेकिन उसकी विध्वंसक विचारधारा सबसे पहले शैक्षणिक केंद्रों को ही निशाना बनाती है. मदरसा अजीजिया में 4500 से ज्यादा धर्मग्रंथ और किताबें जलकर नष्ट हो गए. बस्तानिया से लेकर फ़ाज़िल तक की डिग्री जलकर राख हो गई. हजारों छात्रों का भविष्य पल भर में खत्म हो गया. कंप्यूटर व फर्निचर पूरी तरह जलकर ख़ाक हो गए. यह वह मदरसा है; जहां क़ुरान, हदीस, फ़िक़ह के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी, गणित, भूगोल आदि की भी पढ़ाई होती है. जहां 500 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ा करते हैं. यह देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब, अल्संख्यकों की पहचान और शिक्षा के केंद्र पर सचेत फासिस्ट हमला है.

भाजपा के हिंदू राष्ट्र के प्रोजेक्ट में सदियों से इस देश में क़ायम गंगा-जमुनी तहज़ीब सबसे बड़ी बाधा है. इसलिए उसका हमला राजनैतिक-सामाजिक-शैक्षणिक व सांस्कृतिक स्तर पर है. ठीक, इसी जगह हमें बाबा साहेब भीमराब अंबेडकर की वह चेतावनी याद आती है जब उन्होंने कहा था कि यदि भविष्य में यह देश धर्म के नाम पर कभी हिन्दू राष्ट्र की बात करेगा तो यह हमारे लिए सबसे बड़ी विपत्ति साबित होगा. यह समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले लोगों के लिए बेहद खतरनाक होगा.

नेताओं ने मदरसा अजीजिया के पुनिनिर्माण की मांग को जोर-शोर से उठाया.

राज्यव्यापी कार्यक्रम के आरा, गया, नवादा आदि जगहों पर भी कार्यक्रम किए गए.

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