झारखण्डराज्य

आजाद था …आजाद हूं ….और हमेशा आजाद रहूंगा : चंद्रशेखर आजाद 

झारखंड के साहिबगंज में मनाई गई बलिदान दिवस

 

चुन्नू सिंह

साहिबगंज (झारखंड)

अंग्रेजों से देश को आजादी दिलाने वाले महान क्रातिकारियों में से एक चंद्रशेखर चन्द्रशेखर आज़ाद का आज बलिदान दिवस है । चंदशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को भाबरा गाँव, अलीराजपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था। चंद्रशेखर आजाद भारत के महान क्रांतिकारियों में गिने जाते है। चंद्रशेखर आजाद के पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी था और माता का नाम जगरानी था।

1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण चंद्रशेखर तिवारी उर्फ चंद्रशेखर आजाद के विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् 1927 में ‘बिस्मिल’ के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स की हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।ऐसा भी कहा जाता हैं कि आजाद को पहचानने के लिए ब्रिटिश हुक़ूमत ने 700 लोग नौकरी पर रखे हुए थे। आजाद के संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सेंट्रल कमेटी मेम्बर वीरभद्र तिवारी अंग्रेजो के मुखबिर बन गए थे और आजाद की मुखबिरी की थी. संगठन के क्रांतिकारी रमेश चंद्र गुप्ता ने उरई जाकर देश प्रेमियों से गद्दारी करने वाले वीरभद्र तिवारी पर गोली भी चलाई थी. लेकिन गोली मिस होने से वीरभद्र तिवारी बच गए और गुप्ता की गिरफ्तारी हुई और फिर 10 साल की सजा हुई । इन्हीं सब के बीच चंदशेखर आजाद लूक छिप कर क्रांतिकारी आंदोलन चला रहे थे , अंग्रेज उनके पीछे पग पग पर लगी हुई थी । उसी दौरान उस समय के इलाहाबाद और आज के प्रयागराज शहर के अल्फ्रेड पार्क में अपने एक मित्र सुखदेव राज से कुछ मन्त्रणा कर ही रहे थे तभी सी०आई०डी० का एस०एस०पी० नॉट बाबर जीप से वहाँ आ पहुँचा। उसके पीछे-पीछे भारी संख्या में कर्नलगंज थाने से पुलिस भी आ गयी। दोनों ओर से हुई भयंकर गोलीबारी में आजाद ने तीन पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया और कई अंग्रेज़ सैनिक घायल हो गए। अंत में जब उनकी बंदूक में एक ही गोली बची तो वो गोली उन्होंने खुद को मार ली और वीरगति को प्राप्त हो गए। यह दुखद घटना 27 फ़रवरी 1931 के दिन घटित हुई और हमेशा के लिये इतिहास में दर्ज हो गयी।

आज उसी महान क्रातिकारी चंद्रशेखर आज़ाद की बलिदान दिवस है ।

झारखंड के साहिबगंज जिला मुख्यालय में महान क्रन्तिकारी, अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी की बलिदान दिवस पर उनके तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में साहिबगंज के सांसद प्रतिनिधि सोमवल संजीव हंसदा , राजमहल मॉडल कॉलेज के प्राचार्य डॉ रणजीत कुमार सिंह , प्रो सुबोध कुमार झा , सुधीर कुमार श्रीवास्तव , संतोष कुमार मंडल , चंद्रशेखर उरांव , अमित रजक , अजय पांडे , संजीव रवानी , कमलेश यादव आदि शामिल थे ।

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