58 महीनें बाद चुनाव के वक्त बिल से निकलते हैं जाति वाले कीड़े
हर जाति में पाई जाती है ये विशेष प्रजाति वाली कीड़े
- आज कुछ मित्रों से मेरी बात हो रही थी …
बात होते होते सबने ये कहा की चुनाव के समय सब जाति के ठेकेदार कहां से निकल आते हैं ..?
पांच वर्षों में 60 महीने में ये 58 महीने तो दिखते नही हैं …
चुनाव से ठीक दो महीने पहले ये बिल से बाहर आते हैं और अपनी सम्मान और जाति की सम्मान बचाने की बात करते हैं … हा ये भी बात सामने आई की जाति का हो या कोई अन्य जाति का हो एक नेता की हैसियत से कोई नेता अगर किसी विचारधारा को लेकर वोट मांगने आए तो निश्चित तौर पर कोई बात समझ में आती है ।
कोई राष्ट्रवाद की बात पर वोट मांगने आए
, कोई सेकुलरिज्म की विचारधारा पर वोट मांगने आए ,
कोई महंगाई पर चोट कर के वोट मांगने आए
, तो कोई 500 वर्षों बाद राम मंदिर निर्माण पर
, कोई धारा 370 और 35A जैसी कानूनों को जम्मू कश्मीर से हटाने जैसी घोषणा पत्र में घोषित बातों को पूरा करने की बात पर वोट मांगने आए ,
कोई जम्मू कश्मीर में अस्फा कानून को लागू करने को लेकर तो कोई उस कानून को हटाने की बात को लेकर सामने वोट मांगे तो कुछ समझ में आता है ।
इस देश में सभी विचारधारा के लोग हैं । और सभी सामने पेश की गई बातों और विचारधारा से ठोक बजा कर संतुष्ट हो अपनी कीमती मत का प्रयोग करेंगे ।
चर्चा आगे बढ़ी तो सबने एक स्वर ये सवाल उठाया की …
(1).केवल जाती की डॉक्टर से अपने बच्चो का इलाज कौन कराता है .?
(2).कौन अपने बच्चो की पढ़ाई अपने जात की स्कूल और अपने जात के ही ट्यूशन मास्टर से कराता है..?
(3).कौन कोर्ट में एक अच्छे वकील को छोड़ कर अपने जाती के वकील को रखता है ..?
(4).कौन यात्रा में अपने जाती की बस , कार , ट्रेन और होटल का प्रयोग करता है ..?
(5).अंतिम बात अपने बेटे बेटी की शादी में कौन कौन टेंट वाला ,कैटरर ,सजावट , और खाना बनानेवाला को जाति देख कर रखता है । हर कोई अच्छा और सस्ता देखता है ।
इस पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे सभी श्रीमंत 🇮🇳🚩🙏🚩🇮🇳