बिहारराजनीति

नीतीश कुमार की तरह नैतिकता की मिसाल पेश करते हुए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव दें इस्तीफा : नीरज

पटना । जदयू प्रदेश मुख्यालय में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधानपार्षद नीरज कुमार और प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक राहुल शर्मा की तरफ से आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में दोनों प्रवक्ताओं ने ओडिशा के बालासोर रेल हादसे को लेकर बीजेपी से गंभीर सवाल पूछे। दोनों प्रवक्ताओं ने केंद्र की मोदी से सवाल पूछते हुए कहा कि आज देश में ट्रेनों की तादाद बढ़ रही है, पटरियों की लंबाई बढ़ रही है लेकिन रेल कर्मियों की तादाद कम हो रही है।

उन्होंने कहा कि बालासोर में हुई घटना रेल हादसा नहीं है बल्कि ये हत्या है और ये काम केंद्र सरकार रेलवे में कर्मियों की भर्तियों को नहीं कर करवा रही है। पार्टी के दोनों प्रवक्ताओं ने कहा कि साल 1999 में असम के गैसल रेल दुर्घटना के बाद हमारे मुख्यमंत्री और उस समय के तत्कालीन रेल मंत्री आदरणीय नीतीश कुमार ने सार्वजनिक जीवन के उच्च मानदंडों का पालन करते हुए इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि देश में लाल बहादुर शास्त्री के बाद वो देश के दूसरे रेल मंत्री थे जिन्होंने रेल दुर्घटना के बाद इस्तीफा दिया था और उस समय हमारे मुख्यमंत्री ने उस दुर्घटना को क्रिमिनल नेगलिजेंस करार दिया था। इस दौरान आदरणीय नीतीश कुमार ने दो बड़ी ही गंभीर बातें रेलवे को लेकर कही थी। दोनों प्रवक्ताओं ने कहा कि वो बातें आज सही साबित हुई हैं।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपकर मामले की लीपापोती की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिसे तकनीकी चीजों के बारे में कोई जानकारी नहीं है उसे जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार और प्रदेश प्रवक्ता राहुल शर्मा ने कहा कि दुर्घटना मामले की जांच रेलवे बोर्ड से होना चाहिए ना कि सीबीआई से।
पार्टी के दोनों प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार नेहरू जी के चलाए जन शताब्दी ट्रेन के अस्तित्व को खत्म करना चाहती है और उसकी जगह बेहद खर्चीले वंदे भारत ट्रेन के परिचालन को महत्व दे रही है। उन्होंने कहा कि खर्चीला होने के चलते वंदे भारत का टिकट काफी महंगा है और इसका भार आम लोगों पर पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव नीतीश कुमार जैसी नैतिकता का परिचय दें और बालासोर रेल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दें। पूरे देश में रेलवे के 3 लाख 12 हजार 940 पद रिक्त हैं इनमे से ज्यादातर ग्रुप डी के पद शामिल हैं। जिस साउथ ईस्टर्न रेल खंड पर ये घटना हुई है उस जोन में ग्रुप डी के 17 हजार 589 पद खाली हैं। इन्हीं खाली पदों के चलते ऐसे रेल हादसे हो रहे हैं । केंद्र सरकार ये बताए कि इन पदों पर वो कब भर्ती करने जा रही है?
उन्होंने कहा कि जदयू ये पूछना चाहता है कि क्या वंदे भारत ट्रेन चलाकर पंडित नेहरू के चलाए शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों को खत्म किया जा रहा है

वही इस मौके पर दोनों प्रवक्ताओं ने केंद्र सरकार पर रेलवे के निजीकरण का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार जन बूझकर रेलवे की हालत खराब करना चाह रही है जिससे की उसे निजी हाथों में बेचा जा सके। उन्होंने कहा की साल 2018 से केंद्र सरकार रेलवे में कोई भर्ती नहीं कर रही है जिससे नौजवानों की हकमारी तो हो ही रही है साथ ही रेलवे की हालत भी खस्ता होती जा रही है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अगुवानी में बन रहे पुल के धराशयी होने की चर्चा करते हुए दोनों प्रवक्ताओं ने कहा कि पुल डिजाइन डिफेक्ट के चलते गिरा है और इसमें बिहार सरकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बीजेपी के तत्कालीन मंत्री नितिन नवीन पर सवाल उठाते हुए दोनों प्रवक्ताओं ने कहा की 2022 की पहली घटना के बाद ही इसके ऑडिट की जिम्मेदारी आईआईटी रुड़की को सौंपी गई है और पहली घटना के बाद उस जगह पर कोई नया निर्माण नहीं हुआ है।

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