बिहार

गांधीजी ने चरखे  के बल पर दिलाई आजादी : समीर कुमार महासेठ

  • पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी को खादी बोर्ड में दी गई श्रद्धांजलि
  • राज्य में खादी और ग्रामोद्योगों को दिया जाएगा बढ़ावा

पटना। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के बापू सभागार में श्रद्धांजलि सभा सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उषा किरण खान तथा बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी दिलीप कुमार ने सबसे पहले बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसके बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और खादी विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि महात्मा गांधी को हर काल में कमजोर समझने की कोशिश की गई। अंग्रेजो के खिलाफ जब उन्होंने चरखा को अपनाकर स्वदेशी पर बल दिया तब बहुत लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। उन्होंने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के बल पर राष्ट्र के आजादी का आंदोलन चलाया तब भी अनेक लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। लेकिन सच्चाई यही है कि गांधी हर दौर में मजबूत होकर उभरे। उनके चरखे और खादी ने बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों पर मालिकाना हक रखने वाले ब्रिटिश लोगों को पराजित किया। उन्होंने कहा कि गांधी कहने में नहीं बल्कि करने में विश्वास रखते थे। कथनी और करनी में अद्भुत समानता यदि कहीं देखनी है, तो हमें गांधी के जीवन को ही देखना होगा। उन्होंने कहा कि एक बार एक महिला जब अपने बच्चे को मीठा खाने की आदत छुड़ाने के लिए गांधीजी के पास आई तो उन्होंने उस महिला को 1 सप्ताह बाद अपने बच्चे के साथ आने के लिए कहा। जब दूसरी बार मां बेटे आए तो गांधीजी ने बच्चे को बड़े प्यार से समझाया कि बेटा, मीठा खाना अच्छी बात नहीं है। बस उन्होंने इतना ही कहा। इस बात पर वह महिला बहुत गुस्सा हो गई। महिला ने कहा कि इतनी छोटी बात तो आप 1 सप्ताह पहले भी कह सकते थे। तब महात्मा गांधी ने उन्हें समझाया कि 1 सप्ताह पहले मैं ही खुद बहुत ज्यादा मीठा खाता था। खुद गलती करते हुए बच्चे को समझा था तो वह नहीं मानता। इसलिए 1 सप्ताह तक मीठा छोड़ने का अभ्यास किया और उसके बाद बच्चे को समझाया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के प्रथम प्रयोग बिहार में ही किए। मधुबनी का खादी विश्व विख्यात रहा है। डॉ राजेंद्र प्रसाद को भी मधुबनी का खाद्य बहुत पसंद था और वह मधुबनी की खादी संस्थाओं को बढ़ावा देते थे। बिहार में जो पुरानी प्रतिष्ठा मधुबनी खादी को थी उस प्रतिष्ठा को फिर से वापस लाना है। ऊंचे गुणवत्ता वाले खादी का निर्माण बिहार में करना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जल जीवन हरियाली योजना पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए है। खादी का उपयोग करके हम पर्यावरण को बढ़ावा दे सकते हैं। सभी लोगों को सप्ताह कम से कम में 1 दिन खादी पहनना चाहिए।

विचार गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉ उषा किरण खान ने कहा कि महात्मा गांधी सब का ख्याल रखते थे। गांधी जी ने उनकी मां को भी आशीर्वाद दिया था कि उनका बच्चा गांधीवादी होगा। वही बच्चा मैं हूं। उन्होंने कहा कि चरखे पर सूत कताई करना एक पवित्र कार्य है। ग्राम उद्योगों का विकास करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है। हम सबको मिलकर खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ाने का काम करना होगा। देश को चरखे से आजादी मिली। चरखे से ही देश में भेदभाव समाप्त हुआ और सब को सम्मान मिला।

इस अवसर पर बिहार राज्य खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के सफाई एवं सुरक्षा कर्मचारियों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में गांधीवादी शत्रुघ्न झा, राकेश झा, प्रदीप कुमार, अभय कुमार सिंह, रमेश चौधरी, स्वयं प्रभास, दिनेश कुमार सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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