पटना के गांधी मैदान के पास विसर्जन जुलुस में गोली लगने से छात्र धीरज मार्कोस की मौत

पटना। जहानाबाद का रहने वाला धीरज कुमार मार्कोस मां सरस्वती की प्रतिमाओं के विसर्जन जुलुस में शामिल था। यह जुलुस सैदपुर होस्टल से निकाल था। पटना विश्वविद्यालय के अन्य होस्टलों से भी मां सरस्वती की प्रतिमाएं विसर्जन के लिए निकाली जा रही थी। छात्र सड़कों पर गुलाल उड़ा रहे थे, नाच रहे थे। तभी गांधी मैदान के पास अचानक से जुलुस में फायरिंग की जाने लगी और एक गोली जुलुस में शामिल धीरज कुमार लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। धीरज को गोली लगते ही जुलुस में शामिल छात्र इधर उधर भागने लगे। पहले पुलिस वालों को लगा कि बस ऐसे ही छात्रों के बीच मार पीट हुई है। किसी को गोली नहीं लगी है.
इसके बाद जैसे ही धीरज कुमार के मरने की खबर फैली पूरे इलाके में तनाव बढ़ता चला गया। फिर पुलिस के भी पसीने छूटने लगे। जो पुलिस वाले पहले मामूली मारपीट की बात कह रहे थे अब वही इस तनाव पर काबू पाने में अपनी एड़ी चोटी का जोर लगाते देखे गये।
विसर्जन के दौरान पटना यूनिवर्सिटी इलाके में छात्रों के समूहों के बीच मारपीट की घटना आम है। पुलिस के तमाम बड़े अधिकारियों को भी पता होता है कि छात्रों के गुट आपस में कभी भी भीड़ सकते हैं। इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए खासतौर से सभी पुलिस अधिकारियोंको एसएसपी के द्वारा हिदायत दी गई थी। इसके बावजूद धीरज कुमार की जान चली गई। ऐसे में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है। हर स्तर पर छात्रों को नियंत्रण में रखने के लिए उन्हें चौकस रहना चाहिए था।