बिहारराजनीति

भाकपा-माले की दो दिवसीय पोलित ब्यूरो की बैठक आज से शुरू

भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा

पटना। भाकपा-माले की पोलित ब्यूरो की दो दिवसीय बैठक आज से पटना में शुरू हुई। बैठक में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, बिहार राज्य सचिव कुणाल, धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, बगोदर से विधायक विनोद सिंह, मनोज भक्त, जनार्दन प्रसाद, रामजी राय, कार्तिक पाल, मीना तिवारी, शशि यादव, अमर, वी. शंकर, संजय शर्मा आदि भाग ले रहे हैं।

बैठक में विगत दिनों राज्य और पूरे देश में चले भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की समीक्षा की गई। इस अभियान के तहत बिहार में अब तक 6 लोकसभा क्षेत्रों क्रमशः आरा, सिवान, काराकाट, बक्सर, पाटलपित्र और जहानाबाद में भाजपा विरोधी कन्वेंशन के आयोजन किए गए हैं। राज्य के अन्य इलाकों में भी इसी तरह के कन्वेंशन आयोजन का कार्यक्रम जारी है।
भाकपा-माले ने कहा है कि हमें पूरी उम्मीद है कि बिहार में इंडिया गठबंधन पूरी मजबूती और एकताबद्ध होकर लोकसभा चुनाव में उतरेगा तथा 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम के ठीक उलटा परिणाम 2024 में देगा। लेकिन इसके लिए बिहार विधानसभा 2020 के चुनाव के स्पिरिट के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।

बयान में आगे कहा गया है कि दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान देश की गरीबी को छुपाने के लिए लगभग पूरी दिल्ली को शट डॉउन कर दिया गया है। दिल्ली और उसके आसपास से बड़े पैमाने पर गरीबों को बाहर का रास्ता दिखला दिया गया है। मोदी सरकार शहरी गरीबों और मेहनतकशों के अस्तित्व को शायद अपनी आंख की किरकिरी मानती है, जिसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम अथवा किसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति, खासकर अमेरिका या उसके पश्चिमी सहयोगियों की यात्रा के दौरान परिदृश्य से बाहर कर दिया जाता है।

कोविड-19 के प्रकोप की पूर्व संध्या पर ट्रम्प की यात्रा के दौरान अहमदाबाद में भी कुछ ऐसा ही किया गया था। झुग्गियों को ढककर कई को ध्वस्त करके, सड़क विक्रेताओं को बेदखल करके और सड़कों के किनारे पर्दे जैसी दीवारें खड़ी करके अब दिल्ली में यही काम हो रहा है। यह बहुत अमानवीय व्यवहार है।
जी 7 के विपरीत, जी 20 मेंं कई विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं। 55 अफ्रीकी देशों के महाद्वीपीय गठबंधन, अफ्रीकी संघ को शामिल करके जी 20 अब जी 21 बन गया है। दिल्ली शिखर सम्मेलन ने इस अंतरमहाद्वीपीय मंच में ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधित्व को बढ़ाया है।भारत ग्लोबल साउथ की एक अग्रणी आवाज रहा है। इसलिए दिल्ली शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ की गंभीर समस्याओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सम्मेलन में कहीं से भी इसपर फोकस नहीं दिख रहा है।

5 सितंबर के उपचुनावों में यूपी में मोदी-शाह-योगी की ’डबल-इंजन’ संचालित सरकार को मिले करारे जवाब के साथ इंडिया गठबंधन ने एनडीए पर बढ़त हासिल की। ये देश के लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत हैं। देश को अब रहस्यमयी संसद के विशेष सत्र का इंतजार है। सत्ता पर कब्ज़ा बनाए रखने के लिए मोदी शासन चाहे जो भी हताशापूर्ण कदम उठाए, हमें उस साजिश को विफल करने और मोदी सरकार के विनाशकारी शासन को समाप्त करने के लिए युद्ध लड़ने को तैयार रहना है।

 

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