बिहार

ब्रह्मा की सुख-निद्रा की श्रेष्ठतम और मनोरम रचना है नारी : अनिल सुलभ

स्त्री-चेतना को समर्पित राजेंद्र प्रसाद कला एवं युवा विकास समिति के वार्षिकोत्सव में सम्मनित हुई 12 विभूतियाँ
पटना । स्त्री के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। स्त्री केवल जननी ही नहीं, मानव-जीवन की ऊर्जा है। वह शक्ति है, प्रेरणा है। वह केवल और केवल श्रद्धा है। वह ब्रह्मा की सुख-निद्रा की श्रेष्ठतम और मनोरम रचना है। विधाता ने अपनी सुख-निद्रा में जो प्रथम साँस छोड़ी होगी, उससे नारी का जन्म हुआ होगा। यह बातें डॉ. राजेंद्र प्रसाद कला एवं युवा विकास समिति के तत्त्वावधान में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित स्त्री-चेतना को समर्पित 8वें वार्षिकोत्सव एवं सम्मान-समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही।
उन्होंने कहा कि पृथ्वी का मानव जब सभ्य हुआ तभी उसने स्त्री के दिव्य-गुणों को समझ पाया और उसे जीवन में श्रेष्ठतम स्थान दिया। पिछली तीन सदियों का मानव अपने पाशविक-जीवन में लौट गया था इसलिए वह नारी की महिमा को भूल गया था। पुनः वह चेतना लौटी है।
समारोह का उद्घाटन करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने कहा कि हिन्दी भाषा और उन्नयन के लिए सामूहिक भागीदारी आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को दिया जानेवाला सम्मान केवल उस व्यक्ति का नहीं बल्कि उन सबका सम्मान है जो इस दिशा में प्रयत्नरत हैं। यह वास्तव में पूरे समाज का सम्मान है।
इसके पूर्व संस्था की ओर से विविध क्षेत्रों में मूल्यवान अवदान देनेवाली 12 विभूतियों को विविध अलंकरणों से विभूषित किया गया। इस वर्ष का कौस्तुभ मणि सम्मान मुंगेर विश्वविशविद्यालय की कुलपति प्रो. श्यामा राय को प्रदान किया गया। 92वर्षीय सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ. शिववंश पाण्डेय को साहित्य-मार्तण्ड, ओम् प्रकाश पाण्डेय प्रकाश को मातृभाषा मार्तण्ड डॉ. शांति शर्मा तथा उमाशंकर रोहतासी को साहित्य-सेवा सम्मान अनुपमा कश्यप को कला मार्तण्ड,रश्मि प्रिया को शिक्षा-सेवा सम्मान, डॉ. अलका वर्मा तथा डॉ. रजनीश कुमार को शिक्षा मार्तण्ड, सामर्थ नाहर को कला सेवा सम्मान,डॉ. मुन्ना ठाकुर दास को चिकित्सा सेवा सम्मान तथा अभिषेक कुमार मिश्र को मेजर राजेंद्र प्रसाद सिंह सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. सी पी ठाकुर ने सभी विभूतियों को वंदन-वस्त्र, प्रशस्ति-पत्र और प्रतीक-चिन्ह देकर सम्मनित किया। डॉ. ठाकुर ने इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका कौस्तुभ का भी लोकार्पण किया। कार्यक्रम के आरंभ में दिवंगता कवयित्री अनुपमा नाथ के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। स्मरणीय है कि यह आयोजन स्वर्गीया अनुपमा नाथ एवं नारी-चेतना को समर्पित किया गया था।
सुप्रसिद्ध स्त्री-रोग-विशेषज्ञा पद्मश्री डॉ. शांति राय, डॉ. शिववंश पाण्डेय, डॉ शंकर प्रसाद, डॉ मधु वर्मा, डॉ. कल्याणी कुसुम सिंह, सुनील नाथ मिश्र, डॉ पूनम आनंद, कौस्तुभ पत्रिका की संपादक डॉ. सीमा रानी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डॉ. सीमा यादव ने किया। आचार्य विष्णु प्रभाकर तथा चंदा मिश्र ने क्रमशः मंगलाचरण एवं वाणी-वंदना की।
वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, सागरिका राय, डॉ.अर्चना त्रिपाठी, डॉ ओम प्रकाश जमुआर, डॉ. शालिनी पाण्डेय, डॉ मनोज गोवर्द्धनपुरी, कृष्ण रंजन सिंह, डॉ विद्या चौधरी, डॉ शशि भूषण सिंह. आदि समारोह में उपस्थित थे।

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