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जलवायु परिवर्तन, वैश्विक ऊष्मीकरण एवं आर्थिक विकास पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल का आयोजन

साहिबगंज से डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह ने लिया भाग , रखे अपने विचार

चुन्नु सिंह

साहिबगंज (झारखण्ड)

रिडिएंट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट जबलपुर, सोशल साइंस एंड मैनेजमेंट तथा अंतर्राष्ट्रीय सोसाइटी ऑफ टीचर्स एडमिनिस्ट्रेशन एंड रिसर्च बैंकॉक के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का वर्चुअल आयोजन किया गया। इस सेमिनार में ग्लोबल वार्मिग, जलवायु परिवर्तन एवं आर्थिक विकास पर चर्चा की गई।
चर्चा में ये बात सामने आई की जलवायु परिवर्तन किसी भी देश का मेरुदंड है आर्थिक विकास का मूल भूत आधार होता है।
पर जिस तरह से तापमान वृद्धि , जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों का क्षरण, वृक्ष का कटाई , प्लास्टिक , पॉलिथीन , थर्मोकोल कार्बन उत्सर्जन के कारण मानव जीव जंतु और जीवन के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इसलिए मानव जाति व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से पेड़ पौधे लगाए , बचाएं, जल संसाधन स्रोत का बचत करे मिट्टी को दूषित होने से बचाएं

।सीड वॉल बनाने के लिए हम मौसमी फल के बीजों को गोबर और मिट्टी से मिलाकर सीड वॉल बनें उसे धूप में सुखा कर बरसात में दो तीन बारिश के बाद अपने गाड़ी या पैदल यात्रा के समय सड़क किनारे किनारे पेड़ पौधे लगाए।

सेमिनार में राजमहल मॉडल कॉलेज के भू विज्ञान सह प्राचार्य डॉ रणजीत कुमार सिंह ने भी शिरकत की।
दो दिवसीय इस सेमिनार में डॉ रणजीत कुमार सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि के कारण आज दुनिया विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होती जा रही है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को देश का मेरुदंड बताते हुए कहा कि समय के साथ जलवायु का परिवर्तन होना चाहिए पर आज जितनी तेजी से बदल रहा है वह खतरनाक है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण पर बल देते हुए कहा कि वृक्ष ही हम परिवर्तन से बचा सकती है। कार्यक्रम में भारत के विभिन्न हिस्सों से समाज वैज्ञानिक , भू वैज्ञानिक ,  शोधकर्ता , सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा विश्व के कई देशों से विद्वान जनों ने भी हिस्सा लिया।

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