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प्रधानमंत्री मोदी को मिलकर समेटने पर बनी 15 दलों की सहमति, अगली बैठक शिमला में

आलोक नंदन शर्मा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर आज पटना में 15 दल नेता के आपस में बैठे भी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ साझा लड़ाई लड़ने के के लिए भी सहमत दिखे। राहुल गांधी और दीपंकर भट्टाचार्य इस बात को शिद्दत से महसूस करते हुए दिखेगी बीजेपी के खिलाफ एक कॉमन प्लेटफार्म पर आकर के लड़ने की सख्त जरूरत है क्योंकि यह सिर्फ एक पॉलिटिकल लड़ाई नहीं है बल्कि विचारधारा की भी लड़ाई है और इस विचारधारा की लड़ाई में हर उस व्यक्ति को हर उस संगठन को जोड़ने की जरूरत है जो जो बीजेपी की विचारधारा को हर हाल में शिकस्त देने के हामी है। सीताराम येचुरी और ममता बनर्जी भी लगभग अपने अपने तरीके से यही बात कह रही थी।
ओमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को लेकर के चिंता व्यक्त करते हुए दिखे जबकि अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो दिखे नहीं लेकिन कहा गया कि वह दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहते हैं, और विपक्षी नेताओं की इस संयुक्त लड़ाई में वह तभी भागीदार बनेंगे जब केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिए किए जा रहे हैं शासन के मुद्दे को कॉमन एजेंडा में शामिल किया जाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में दीपांकर भट्टाचार्य ने इस बात की तस्दीक कि अगली बैठक में हम लोग कॉमन एजेंडे पर चर्चा करेंगे, उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा और फिर उसी के आधार पर उन्हें एजेंडे में शामिल किया जाएगा। यानी की अगली बैठक जो शिमला में होने वाली है उसमें 15 पॉलिटिकल पार्टी के नेता एजेंडे के साथ वार्ता की शुरुआत करेंगे। इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी गई है। अगले राउंड के शिमला में बैठक की तैयारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की देखरेख में ही होगी। आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा भी कि हम लोग इस बात पर सहमत हो रहे हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एजेंडा साथ लेकर के राज्य स्तर पर भी समीकरण को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग चुनावी रणनीति बनाएं।
उनके बाद पत्रकारों से खिताब करते हुए राहुल गांधी ने इस बात पर बल दिया कि यह लड़ाई विचारों की लड़ाई है, जनतांत्रिक संस्थाओं के अधिकारों के हनन के खिलाफ लड़ाई है, एक केंद्रीकृत व्यवस्था के तहत जनता पर किए जा रहे मनमानी के खिलाफ यह लड़ाई है, और इस लड़ाई को जीतने के लिए सबको साथ कदम मिलाना होगा। इस दौरान राहुल गांधी के पदयात्रा की भी चर्चा होती रही। अपने खास अंदाज में लालू यादव ने स्वीकार किया कि राहुल गांधी की पदयात्रा की धमक पूरे देश भर में महसूस की गई है साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब वह पूरी तरह फिट है और नरेंद्र मोदी को भी फिट कर देंगे।
विपक्षी पार्टी के नेताओं की पहली बैठक पटना में करने की सलाह ममता बनर्जी ने दी थी। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली में अब तक हम लोग कई बैठक कर चुके हैं। इससे बेहतर है कि हम इस बार पटना में चल कर बैठते हैं। पटना बैठक का संदेश पूरे देश भर में स्पष्ट रूप से जाएगा।
उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से खिताब करते हुए कहा कि यहां बैठे कुछ लोग निश्चित तौर पर यह देख रहे होंगे कि इस साझा मंच में कौन-कौन नेता नहीं आए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह मंच और विस्तार लेगा।
2024 के पहले अभी 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाला है। इन राज्यों में होने वाली लड़ाई में भी इनकी ताकत दिखनी चाहिए, इसे लेकर भी आगे काम करेंगे।
नीतीश कुमार की मेहनत इस मामले में आकार लेता हुआ देखा कि कम से कम 15 दल के नेता पटना में पूरी गंभीरता के साथ एक अच्छी लड़ाई लड़ने के लिए एकत्र हो गए। और यह सभी लोग इस बात पर सहमत हो गए कि देश के संविधान को बचाने के लिए, देश की धरोहर को बचाने के लिए, देश के इतिहास को बचाने के लिए इन्हें अपनी पूरी ताकत को एक करके लड़ना होगा। अपनी बिक्री हुई ताकत के साथ बीजेपी के मुकाबला करना उनके लिए मुश्किल होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस कोशिश की सराहना दीपांकर भट्टाचार्य ने भी की, ममता बनर्जी, और राहुल गांधी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस पहल को सराहा। राहुल गांधी ने तो खासतौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनकी मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया।

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