
चुन्नु सिंह
साहिबगंज, झारखंड: 04.03.2025
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर, GSI राज्य इकाई, झारखंड ने वन प्रमंडल कार्यालय (DFO), साहिबगंज के सहयोग से मंडरो फॉसिल पार्क में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भूविज्ञान के विद्यार्थियों, पर्यावरणविदों और स्थानीय अधिकारियों ने भाग लिया।
GSI के भूवैज्ञानिक श्री सौरभ पाल ने राजमहल क्षेत्र में पाई जाने वाली ज्वालामुखीय चट्टानों, इंटरट्रैपियन स्तरों में उपस्थित वनस्पति जीवाश्मों और इस क्षेत्र की प्रागैतिहासिक जैव विविधता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि जीवाश्म और चट्टानों का सूक्ष्म अध्ययन इनके पहचान और वर्गीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
GSI राज्य इकाई, झारखंड की भूवैज्ञानिक श्रीमती अंजलि पाल ने भूविज्ञान में करियर के अवसरों की जानकारी दी और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने GSI के 175 वर्षों के गौरवशाली इतिहास पर चर्चा करते हुए इसके योगदान को रेखांकित किया।
68 वां विश्व वन्यजीव दिवस 2025
इस अवसर पर 68 वें विश्व वन्यजीव दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र, अर्थव्यवस्थाओं और मानव कल्याण में वन्य जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा हुई।
भूवैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि भूविज्ञान और जीवाश्मों के अध्ययन के माध्यम से हम पृथ्वी, प्रकृति, जीव-जंतु और पादपों के अतीत, वर्तमान और भविष्य की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने वन्य जीवों के संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस कार्यक्रम में भूविज्ञान के छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए और उन्होंने जीवाश्मों व चट्टानों के अध्ययन से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की।
यह जागरूकता कार्यक्रम भूविज्ञान और पर्यावरण के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ाने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।