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प्राoविo टोपरा के प्रधानाध्यापक न तो समय पर विद्यालय खोलते है और समय के पहले बंद कर फरार हो जाते है सारे शिक्षक

 

मध्यान भोजन में गुणवक्ता पूर्वक भोजन नही देते है बच्चो को

 

रिर्पोटर अहद मदनी, पीरपैंती, भागलपुर

बच्चे स्कूल में नियमित आएं और उनका पोषण स्तर भी सामान्य रहे इस आशय से सरकार ने स्कूल में मध्यान्ह भोजन की शुरुआत की है। पोषण तत्व बरकरार रखने के लिए बच्चों को मेनू के अनुसार भोजन दिया जाना है। किंतु पीरपैंती प्रखण्ड के प्राथमिक विद्यालय टोपरा में मेनू नियम का पालन तो किया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालय टोपरा के विद्यालय समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र और विद्यालय के सहायक शिक्षक प्रमोद यादव ने बताया की भोजन की गुणवत्ता की बात करे तो घटिया सामग्री से मध्यान भोजन बनाया जाता है। मध्यान भोजन का संचालन सिर्फ एक महिला के भरोसे कुल 92 बच्चो का भोजन बन रहा है। सरकार के नियमो के अनुसार शुक्रवार को चावल और आलू,सोयाबड़ी के साथ साथ एक एक बच्चो को फल देना था।जो की प्रधानाध्यापक सिकंदर यादव के द्वारा सिर्फ और सिर्फ चावल और कम गुणवक्ता वाला आलू और सोयाबड़ी की पानी वाली सब्जी परोसा गया। मेनू अनुसार भोजन न परोसने से मध्यान्ह भोजन केवल ऊपरी कमाई का जरिया बन कर रह गया है। बच्चों को भोजन कराने में इस स्कूल में भी स्वच्छता के मापदंड को अक्सर ताक पर रखा जाता है। बच्चे कभी स्कूल प्रांगण में बने मंच तो कभी रैंप और पुराने भवन परिसर में बैठकर भोजन करते हैं। इसके बाद पानी पीने के लिए इन्हें गिलास तक उपलब्ध नहीं कराया जाता। बच्चों के थाली के पास एक गिलास नजर नहीं आता। विद्यालय समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र ने बताया की प्राथमिक विद्यालय टोपरा में वर्ग एक से पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है। और कुल 92 छात्र छात्राएं नामांकित है विद्यालय में लेकिन शुक्रवार को सिर्फ 40 बच्चे ही उपस्थित पाए गए।इसकी जानने के लिए प्रधान शिक्षक सिकेंद्र यादव से जानकारी प्राप्त किया गया तो उन्होंने जवाब दिया की बच्चे स्कूल नही आते है। वहीं जब शिक्षा की बात करे तो प्रधानाध्यापक सिकेन्द्र यादव और विद्यालय के शिक्षको द्वारा विद्यालय के संचालित कार्यालय में ही एक से पांचवीं कक्षा तक के बच्चे को सामूहिक रूप से बैठाते है। जब की विद्यालय में पहले ही आठ कक्षा हैं।लेकिन सिकंदर यादव द्वारा नही पढ़ाने के नियत से एक जगह सभी बच्चो बैठाए रखते है। विद्यालय समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र ने ये भी बताया की विद्यालय का तमाम रजिस्टर और स्कूल का स्पीकर और माइक अपने घर में रखते है।” विद्यालय में नही रहता है साफ सफाई स्कूल की शौचालय पूरी तरह से गंदा रहता है। विद्यालय समिति के अध्यक्ष देवेन्द्र ने बताया की मुझे समिति के अध्यक्ष बनने से करीब आठ माह से ऊपर हो चुका है लेकिन प्रधानाध्यापक द्वारा एक भी दिन समिति की बैठक आयोजित नही किया हैं”

 

पानी की सुविधा नहीं

 प्राथमिक विद्यालय टोपरा में कक्षाएं संचालित होती हैं। यहां के बच्चों के लिए विद्यालय की पुराना कार्यालय में ही रसोइघर बना है। इसकी वजह जाना गया तो रसोईघर में पानी के दिन में छत से पानी आता है। सबसे विडंबना है कि जहां घर-घर नल जल योजना के तहत कनेक्शन पानी के लिए आवेदन किए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ इस स्कूल के बच्चों को पीने के लिए शुद्ध पानी नसीब नहीं होता। यहां एक चापाकल लगवाया गया है जो प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के रसोइघर के नजदीक स्थापित है। इसका पानी लाल आयरनयुक्त होने से पीने के लायक नहीं रहता। इसी पानी से बच्चों के लिए भोजन तैयार होता है। बच्चे गंदे पानी को मजबूर हैं। प्रधानाध्यापक द्वारा बताया गया की विभाग को कितनी बार पानी के विषय में लिख कर दिया गया है लेकिन अभी तक कुछ कार्यवाही नही किया गया है।

विद्यालय में सरकार चावल निःशुल्क देता है और ईंधन से लेकर अन्य सामानों के लिए प्रति छात्र 4.70 रुपया का भुगतान किया जाता है। इसके बावजूद भी कभी महंगाई तो कभी कुछ और कारण बताकर सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। गरीब बच्चों को उनके थाली का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्यान्ह भोजन प्रधानाध्यापक और शिक्षक के लिए उनके मोटे सरकारी वेतन के अलावा अतिरिक्त कमाई का जरिया बना हुआ है।

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