देश

केंद्रीय बजट 2023-24 को लेकर बिहार में घमासान, बीजेपी ने सराहा तो राजद और जदयू ने नकारा

केन्द्रीय वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट पर बिहार बिहार में मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। भाजपा के नेता जहां इस बजट की सराहना कर रहे हैं वहीं, राजद और जदयू के नेता इस बजट को बिहार विरोधी कह कर खारिज कर रहे हैं। इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन ने भी इस बजट विकास को देश के लिए गति देनेवाला बजट करार देने के बावजूद इसे बिहार के लिए थोड़ी निराशजनक बताया है। आइये जानते हैं बजट पर किसने क्या कहा।

भविष्य के सशक्त भारत की बुनियाद रखने वाला है बजट: संजय जायसवाल

संजय जायसवाल, प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी

सशक्त भारत की बुनियाद रखने वाला बजट है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर चलते हुए भारतीय अर्थव्यस्था के आकार में पिछले 9 वर्षों में एतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। भारत दुनिया की 10वीं अर्थव्यवस्था से बढ़कर दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। आज पेश हुआ बजट बढ़ते भारत की इसी प्रगति की गति को और तेज करने वाला है। बिहार के मुख्यमंत्री जी को पता ही नहीं है कि बजट में क्या है। फिर वह इस बजट के योजनाओं का लाभ बिहार के लिए कैसे ले पाएंगे और दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री जी हैं जो अगर थोड़ा सा भी किसी से पूछ लिए होते हैं तो उन्हें पता चल जाता कि इस बजट में गरीबों के आवास और किसानों के लिए क्या-क्या है।

आम बजट सराहनीय और सकरात्मक : विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष

विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष

यह बजट युवाओं के बेहतर भविष्य बनाने में काफी मददगार साबित होगा। लोकसभा में पेश आम बजट मध्यवर्गीय परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाला, राहत देने वाला और युवाओं के बेहतर भविष्य बनाने में मदद करने वाला है। इस बजट से हर तबके के लोगों को अवसर मिलेगा। बजट को लेकर जैसी उम्मीद की गई थी वैसा ही यह बजट है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव यादव को बिहार के लाभ से कोई मतलब नहीं है। उनके पास पांच विभाग है और बजट में वे देख रहे हैं कि उनके विभाग में कितना कमीशन उनके हिस्से आएगा। बिहार में भ्रष्टाचार और लूट की प्रवृति बनी हुई है और उसी नजर से यहां की सरकार बजट को देखती है। केंद्र सरकार द्वारा लाभुकों को सीधा फायदे दिए जाने से कुछ लोग परेशान है।

यह एक नए, समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत की अर्थव्यवस्था

को सशक्त करने वाला बजट है : चिराग

चिराग पासवान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास

यह एक नए, समृद्ध, शक्तिशाली और विकसित भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने वाला बजट है, जिसमें प्रधानमंत्री जी का विजन ‘सबका साथ सबका विकास’ स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन और केंद्रीय वित्त मंत्री आदरणीय श्रीमती निर्मला सीतारमन जी के नेतृत्व में तैयार किया गया 2023-24 का बजट आम आदमी की आकांक्षाओं और आशाओं को पूरा करने वाला साबित होगा। यह एक ऐसा बजट है, जो समावेशी है, जिसमें हर वर्ग का ख़्याल रखा गया है। बजट में हाशिये पर खड़े लोगों के साथ अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान करने वाले मिडिल क्लास का भी ध्यान रखा गया है। इस बजट में आम आदमी का पूरा-पूरा ख्याल रखा गया है। बजट के माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी ने करदाताओं को बड़ा तोहफ़ा दिया है, जिसमें 7 लाख तक की आय पर अब आयकर नहीं देना पड़ेगा। जो लोग आयकर देते हैं इनके आयकर स्लैब को 5 स्लैब में बांटा गया है और ऐसे बदलाव किये गए ताकि ज्यादा पैसे आपकी जेब में जा सकें। इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ज़ोर दिया गया है। पूंजीगत निवेश 10 फीसदी बढ़ाकर कुल 33 लाख करोड़ का कर दिया गया है यानी कि सकल घरेलू उत्पाद का 3.3þ अगर आधारभूत संरचना पर फोकस किया गया तो निवेश बढ़ाने और नौकरियां सुनिश्चित करने में ये कदम सहायक होगा।

गैर भाजपा शासित राज्यों के लिए बजट में कुछ नहीं: श्रवण कुमार

श्रवण कुमार, मंत्री ग्रामीण विकास

इस बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे आम जनता को लाभ पहुंचे इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि गैर एनडीए शासित राज्यों को केंद्र सरकार उपेक्षित रखती है। और ऐसे राज्यों को खामियाजा भुगतना पड़ता है। जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार स्पेशल स्टेटस की मांग कर रहे हैं, इसके बावजूद केंद्र सरकार सुनने को तैयार नहीं है। महिला सशक्तिकरण के मामले में बिहार अव्वल  है और बिहार से ही प्रेरित होकर केंद्र सरकार केंद्र सरकार बजट में महिलाओं के लिए सुविधाएं बढ़ाई है। केंद्र की सारी योजनाओं आई वाश हैं और नाम बदलकर चलाई जा रही हैं।

पूंजीपत्तियों, कॉरपोरेट और एनजीओ का बजट है :पप्पू यादव, नेता जन अधिकारी पार्टी

 

भारत सरकार की आखिरी बजट है। विदाई बजट है। कॉरपोरेट भाइयों के लिए जितना करना था आखिरी में इन्होंने भरपुर कर दिया। इन्होंने न महंगाई पर कुछ किया न  रोजगार पर किया। न आधी आबादी महिलाओं पर कुछ किया न युवाओं पर कुछ किया। बिहार से हमनें केंद्र को ढाई लाख करोड़ से ऊपर जीएसटी और टैक्स दिये। इसमें से इस बजट में एक तिहाई रूपया भी बिहार को नहीं मिला है। हम जानना चाहेंगे कि इतने सौतेलेपन का व्यवहार क्यों ? केंद्र सरकार राज्य योजनाएं बंद करके करके की योजनाएं राज्य पर थोप रही है। आखिर पूरे बजट से बिहार गायब क्यों है ? क्या बिना बिहार के भारत की तरकी की जा सकती है, जरा हमको नरेंद्र मोदी जी बता दे। किसान, कर्मचारी, मजदूर और गांव पूरी तरह से लापता है। यह पूंजीपतियों, कॉरपोरेट और एनजीओ का बजट है। बिहार के साथ लगातार धोखा हो रहा है।

बिहार को ठगने का काम किया है : तेजस्वी प्रसाद यादव

तेजस्वी प्रसाद यादव, उपमुख्यमंत्री बिहार

बीजेपी ने बिहार को ठगने का काम किया है कई वादे कर उसे पूरा नहीं किया। पहले के बजट और अब के बजट में बहुत अंतर हो गया है। पहले रेल बजट अलग होता था लोग बहुत ही इच्छा से इसे देखते थे। अबह बजट को बहुत छोटा किया गया है। महंगाई बेतहाशा बढ़ चुकी है उसे रोकने में सरकार कैसे आम लोगों की मदद करेगी यह देखना होगा। केंद्र सरकार पहले राज्यों को विशेष रूप से सहायता करती थी। अब वह सहायता साल दर साल कम करते जा रहे हैं। बिहार सरकार की सभी योजनाओं में केंद्र सरकार के पैसे को खर्च कर रही है मगर राज्य के ऊपर केंद्र के द्वारा अधिक भार बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री देश की जनता के साथ 8 सालों में कई तरह के वादे किए हैं। मगर कितना वह पूरा हुआ है यह जनता भी जानती है।

बिहार के साथ हकमारी हुई है: श्याम रजक

केंद्रीय दिशाहीन, चुनावी स्टैंड और गरीब को मारने वाला है। बिहार को विशेष राज्य का अधिकार नहीं मिला । बिना विशेष राज्य का अधिकार दिए हुए बिहार की स्थिति को ठीक नहीं किया जा सकता है। बिहार के साथ हकमारी हुई है। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार का यह अंतिम बजट साबित होगा।

अमृत बजट के नाम पर देश के सामने जहर परोसा गया है: चित्तरंजन गगन, प्रदेश प्रवक्ता राजद बिहार

चित्तरंजन गगन, प्रदेश प्रवक्ता राजद बिहार

अमृत बजट के नाम पर देश वासियों को जहर परोसा गया है। वहीं इस बार के बजट में भी बिहार की उपेक्षा की गई। सबसे ज्वलंत समस्या महंगाई और बेरोजगारी को इस बजट में पूर्णतः नजरंदाज कर दिया गया है। डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों में कोई राहत नहीं दिया गया। लोगों को उम्मीद थी कि डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो इससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ। रेल के बढ़े किराए में कोई कमी नहीं की गई। रेलवे द्वारा बुजुर्ग नागरिकों को पूर्व से मिल रहे रियायत एवं अन्य सुविधाएं को कोरोना काल में समाप्त कर दिया गया था। उम्मीद थी कि उसे पुनः चालू कर दिया जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। मनरेगा में कटौती के सिलसिले को जारी रखा गया है। जबकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था,  कृषि और रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए बजट आवंटन बढ़ाने और मनरेगा के माध्यम से किसानों को मजदूर उपलब्ध कराने की मांग की जा रही थी। बेरोजगारी दूर करने की दिशा में बजट में कोई प्रावधान नहीं दिखाई पड़ रहा है। इस प्रकार केन्द्रीय बजट में गांव, किसान, मजदूर और युवाओं की पुरी उपेक्षा की गई है। बिहार के लिए तो यह बजट और भी ज्यादा निराशाजनक है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा तो दूर बिहार के लिए विशेष पैकेज के साथ हीं पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने की दीर्घलम्बित मांग के सम्बन्ध में भी बजट में कोई चर्चा नहीं की गई है। बजट भाषण में जुमलेबाजी को केवल शब्दों के आवरण से ढंकने का प्रयास किया  है।

मुकेश निषाद और ताड़ी व्यवसाय मंच बिहार प्रदेश के संयोजक किशन चौधरी ने बेहतर करार दिया है।

उन्होंने बताया कि गरीबों को मुफ्त अनाज की स्कीम एक साल और चलेगी। युवाओं के लिए 30 इंटरनेशनल स्किल सेंटर्स बनेंगे। MSME को 9 हजार करोड़ की क्रेडिट गारंटी और ऊर्जा सुरक्षा के लिए 35 हजार करोड़ रुपए जैसे बड़े ऐलान किए। मोबाइल, टीवी और गाड़ियों के सस्ते होने की घोषणा की है। आगामी 3 वर्षों में केंद्र सरकार 3.5 लाख आदिवासी छात्रों के लिए 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय शुरू करेगी, अगले 3 सालों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए मदद की जाएगी। कुल मिलाकर यह बजट निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के लिए सन्तुलित बजट है,  इससे खासकर अतिपिछड़ों,  दलितों को फायदा होगा, परन्तु कुछ खास समुदाय के लिए सरकार को ओर भी गहरी चिंता करनी चाहिए ताकि समता मूलक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके।

बेहतरीन कवर पेज के साथ जनता को बेवकूफ बनाया गया है

श्यामसुंदर शरण, राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से.)

यह बजट आमलोगों के लिए बहुत फलदाई साबित नहीं होनेवाली है। केवल बेहतरीन कवर पेज के साथ जनता को बेवकूफ बनाया गया है। किसानों, मजदूरों, गरीबों को झुनझुना थमाया गया है। देश के बजट में 16%से ज्यादा की हिस्सेदारी रखनेवाला कृषि सेक्टर को सरकार ने दरकिनार करने का काम किया है। किसानों की आमदनी दुगुनी करने के वादे छलावे साबित हुए हैं। टैक्स स्लैब में राहत भी जादूगरी के अलाबा कुछ नहीं है। लोगों की बचत करने की मानसिकता को कमजोर करना आनेवाली पीढ़ी के लिए ठीक नहीं होगी। भारतीय जनमानस की सोंच के विपरीत है यह फैसला। कॉमन एजुकेशन सिस्टम कैसे लागू हो सरकार का इसपर कोई चिंतन नहीं है। डिफेन्स, हॉस्पिटल, करप्शन और मायनॉरीटी शब्द का जिक्र तक नहीं है। वहीं गरीब, मध्यम वर्ग, वेलफेयर जैसे शब्द मात्र दो बार लिया जाना बजट का पूरा मजमून बताने को काफ़ी है। ज्यादा आमदनी वाले लोगों के लिए हायर सरचार्ज 42.74% से घटाकर 37% कर दिया गया। कुल मिलाकर फिर से यह अमीरों का बजट साबित होगा। गरीबों और मध्यमवर्ग के हाथ कुछ नहीं आनेवाला है। मोदी सरकार का अंतिम बजट था।  बिहार की उम्मीदें बहुत थीं परन्तु हमारी उम्मीदों पर उन्होंने पानी फेर दिया।

युवाओं को रोजगार देने का केंद्र सरकार के पास कोई योजना नहीं है : मनोज कुमार चन्द्रवंशी, प्रदेश अध्यक्ष जनवादी नौजवान सभा

प्रत्येक साल 2 करोड़ युवाओं को नौकरी देने वादा जुमलाबाजी साबित हो गया। देश में युवाओं को रोजगार देने का केंद्र सरकार के पास कोई योजना नहीं है। दिन पर दिन बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। दूसरी ओर बड़े-बड़े कारखाने बंदी के कागार पर है। कॉन्टेक्ट पर बहाली और उसके बाद छटनी से युवाओं का भविष्य खतरे मे डाला जा रहा है।

विकास को गति देनेवाला बजट, लेकिन बिहार के लिए थोड़ी निराशजनक

अरूण अग्रवाल, अध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन.

इस बजट को विकास को गति देनेवाला बजट कहा जा सकता है क्योंकि इसमें आधारभूत संरचना सहित सात क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है और विकास का सप्तऋषि मॉडल की रूपरेखा खीचीं गई है। आधारभूत संरचना को विकसित किए जाने पर विशेष बल है। Capital outlay बढ़ाने के लिए Capex fund  में 33 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर इसे 10 लाख करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है जिसके माध्यम से देश में आधारभूत संरचना जैसे विकास से संबंधित योजनाओं पर खर्च होगा। निश्चित रूप से इससे देश की अर्थव्यवस्था को नयी ताकत मिलेगी। यदि बिहार राज्य के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो थोड़ी निराशा दिखती है क्योंकि हमसबों को काफी उम्मीद थी कि बिहार को पिछड़ेपन के परिपेक्ष्य में ऊपर उठाने के लिए विशेष घोषणा/प्रावधान इस बजट में किया जायेगा। आर्थिक सर्वेक्षण में जो आंकड़ा आया है उसके अनुसार देश का प्रति व्यक्ति औसत आय 1,97,000 वार्षिक हो गया है जबकि बिहार राज्य का औसत आय प्रति व्यक्ति लगभग 50,000 हजार रूपया है। यह अन्तर पिछले वर्ष की तुलना में और बड़ा हो गया है। विकास के परिपेक्ष्य में देश में क्षेत्रीय विषमता की खाई और बड़ी होती जा रही है। यह हमारे लिए ही नही बल्कि देश के विकास के लिए भी चिन्ता का विषय है क्योंकि देश की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या वाले राज्य के विकसित कर जब तक हम आगे नही बढ़ायेगें देश विकसित नही होगा। कर्नाटक राज्य के लिए सुखाग्रस्त राज्य घोषित करते हुए विशेष प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई है। बिहार के विकास को राष्ट्रीय औसत के बराबर करने के लिए हमारी अपेक्षा इस बजट के माध्यम से थी। बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन व्यक्तिगत आयकर में छूट की मांग लगातार करते रहा है तथा हमें उम्मीद थी कि बजट में आयकर में छूट दी जाएगी। आयकर में छूट की सीमा जो पहले 5 लाख वार्षिक थी उसे बढ़ाकर 7 लाख किया गया है। पुनः आयकर के दर को 5 वर्गों में विभाजित किया गया, इससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button