किसानों के लिए ईमानदारी से सोचिए: ऋतुराज
किसानों के उत्थान के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन शीघ्र हो

लालमोहन महाराज, मुंगेर
अनाज का कटोरा कहे जाने वाले, वास्तविक धरतीपुत्र हमारे किसान आज बहुत ही बुरी स्थिति में है।यह बातें
आठ गांव के किसानों से अवगत होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता ऋतुराज बसंत ने कही। उन्होंने कहा कि किसान सालों भर ठंडी, गर्मी और बरसात को झेलते हुए सारी दुनिया का पेट भरता है लेकिन किसान को वास्तविक रूप में सहायता नहीं मिल पा रही है और और ना ही उसकी प्रगति हो रही है। समस्या बुआई से शुरू होती है।उचित समय पर किसान भाइयों को बीज उपलब्ध नहीं हो पाता है, बाद में बिचौलिए बीच का हेर फेर कर देते हैं, यह स्थिति शिवकुंंड, हेमजापुर और बाहचौकी पंचायत में देखी गई ।जबकि बीजारोपण के समय से कुछ पहले ही किसानों को बीज मिल जाना चाहिए। सुंदरपुर के किसान मुकेश कुमार और रमेश बाबू बताते हैं कि हमारे इलाके में समय से खेत के पानी का निकास नहीं होता है। यदि समय से बांध खोल दिया जाए तो हजारों किसान समय से खेती कर पाएंगे।
बीजों के साथ-साथ किसानों को खाद और उर्वरकों की भी आवश्यकता होती है।
किसानों ने बताया कि यूरिया की एमआरपी 266 रुपए है, लेकिन किसान 320 और ₹330 में खरीद रहे हैं और घर तक लाने का भाड़ा अलग लगता है।एमआरपी से अधिक दाम में यूरिया का किसानों को मिलना सरासर गलत है।पिछले वर्ष भी खाद की खूब ब्लैक मार्केटिंग हुई थी। किसानों ने 500 तक यूरिया खरीदा था।
बुआई के 15- 20 दिनों के बाद से किसानों को खेत में पानी की आवश्यकता होती है। खेत में बिजली के तार तो आ गए हैं, लेकिन समय पर बिजली नहीं आने से खेती करने वाले लोगों को बहुत तकलीफ होती है। किसान और खेत में काम करने वाले मजदूर दोनों प्रभावित हो रहे हैं। छर्रा पार्टी शिवकुंंड पंचायत के किसान ललन यादव बताते हैं कि समय पर बिजली नहीं आती है तो घंटे- घंटे खेत में बैठकर समय बिताना पड़ता है। एक दिन का काम 2 दिन का बन जाता है।खेत में पानी देने वाले को भी परेशानी होती है और किसान के ऊपर डबल मजदूरी का खर्च बिना कारण का लग जाता है।
जैसे ही खेत में फसल हरे होते हैं कि नीलगाय, कीड़े और कई अन्य व्यवधान किसान को मिलते हैं।कम कीमत पर कीटनाशक और फसल टॉनिक किसानों को उपलब्ध कराना संबंधित अधिकारियों और सरकार की प्राथमिकता होनी ही चाहिए। किसान को अगर कम खर्चे में अधिक फसल उगाने में मदद मिल जाए तो किसान विकास में यह मिल का पत्थर साबित होगा । यह बातें शिवकुंंड के जागरूक किसान टुनटुन सिंह ने कहीं।
पुरानी कहावत है, “ जो फसल उगाई उसका कोई मोल नहीं- जो फसल घर पर लाई वह खेतिहर की असली कमाई है”।फसल जब तैयार जाती है तब भी किसान स्थिर नहीं हो पता है। खेत में चोर और लुटेरे सक्रिय रहते हैं। 2022 में पंकज कुमार नाम के किसान की एक बीघा मसूर की फसल चोरी हुई थी।पिछले वर्ष भी कई किसानों के फसल के साथ ऐसा हुआ।कई किसान रात रात भर खेत के सुनसान इलाकों में हिम्मत करके पहरा भी देते हैं, किसानों को सुरक्षित महसूस करवाना और सुरक्षित रखना अनिवार्य कदमों में से एक होगा। किसान जब सुरक्षित महसूस करेंगे तो और भी अच्छी फसल उगा पाएंगे ,विकास करेंगे।
किसानों को धरातल पर उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, यह बहुत बड़ी चुनौती है। इसकी तैयारी समय से पूर्व हो जाना चाहिए। किसान भोला- भाला होता है, सुबह से लेकर शाम तक वह खेत में काम करता रहता है, बाजार और दुनियादारी के गतिविधियों से उनकी दुनिया कुछ अलग होती है क्योंकि उन्हें फसल उगाना होता है।भोले भाले किसानों को यह भी नहीं पता कि उनके बच्चों को स्कूल में सही ढंग से पढ़ाया जा रहा है या नहीं, खेती एक चुनौती पूर्ण यज्ञ है जो किसान समाज का पेट भरने के लिए वर्षों से करते आ रहे हैं।बिचौलिए बीच में किसान के हिस्से का बड़ा मुनाफा बड़ी चालाकी से हड़प लेते हैं।किसान को तो उसी जमीन से कमाना है, फसल का उचित मूल्य मिलना अत्यंत अनिवार्य है ।जिससे किसान अपने परिवार का पालन पोषण कर सके, और समाज के लिए अनाज प्रदान कर सके। ऋतुराज बसंत कहते हैं कि किसानों की समस्या तभी दूर होगी जब
– रोपण के कुछ समय पूर्व ही किसान को खाद और बीज उपलब्ध करवाना होगा।
किसानों को कीटनाशक और फसल स्वस्थ रखने वाली दवाइयां उचित मूल पर दिलवाना
– खाद की कालाबाजारी रोकना
– बिजली और पानी की व्यवस्था समय से करना।
– टेक्नोलॉजी फार्मिंग कम खर्चे में अधिक उपज आज की जरूरत बन चुकी है।
– खेतीहारों की फसल की सुरक्षा और उनके भूमि विवादों को सुलझाना ।
– किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलवाने, और उनके क्रय -विक्रय के लिए लाजमी व्यवस्था करवाना
– प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रेरित करना और सहायता देना,
– गांव- गांव में और जागरूकता अभियान धरातल स्तर पर करना,
– क्षेत्र के हिसाब से किसानों के लिए योजना बनाना एक महत्वपूर्ण कदम होगा।