बिहार

सीएम नीतीश कुमार  ने समाधान यात्रा के क्रम में सहरसा जिले की जीविका दीदियों के साथ किया संवाद

पटना। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज समाधान यात्रा के क्रम में सहरसा जिले की जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रेक्षागृह सहरसा में आयोजित संवाद कार्यक्रम में 540 जीविका दीदियों ने हिस्सा लिया। संवाद कार्यक्रम में जीविका समूह के माध्यम से उत्कृष्ट कार्य करने वाली 6 जीविका दीदियों ने अपने – अपने अनुभव साझा किये। सभी ने जीविका समूह से जुड़ने के बाद अपने व्यक्तिगत जीवन एवं परिवार के जीवन स्तर में हो रहे बदलाव को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा।

मुख्यमंत्री से संवाद के दौरान जीविका दीदी श्रीमती मंजू देवी ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ने से पहले हमारी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी । समूह से कर्ज लेकर एक गाय खरीदी और दूध बेचने का काम शुरू किया। पैसे की बचत करके पति के लिए एक साइकिल खरीदी। धीरे-धीरे गाय की संख्या बढ़कर सात हो गई। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री जी के प्रति आभार प्रकट करती हूं और यह आग्रह करती हूं कि मेरे पति बाहर जाकर नौकरी करते हैं उनके लिए यहीं पर रोजगार के अवसर उपलब्ध करा दें, बहुत मेहरबानी होगी।

जीविका दीदी श्रीमती संजू देवी ने बताया कि मेरे पति ताड़ी बेचने का काम करते थे। शराबबंदी के बाद जब रोक लगी तो परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई। उसी समय मुझे स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी हुई और मैं समूह से जुड़कर आर्थिक मदद ली और एक दुकान खोली। पैसे की बचत करके बकरी पालन, गाय पालन और कबूतर पालन भी करने लगी जिससे अच्छी आमदनी भी होने लगी। मेरी पांच लड़की है और एक लड़का है, सभी ठीक ढंग से पढ़ाई कर रहे हैं, साइकिल योजना और पोशाक योजना, प्रोत्साहन राशि आदि का लाभ उन्हें मिला है। समूह से जुड़ने के बाद सरकारी योजनाओं का लाभ भी मेरे परिवार को मिला है। मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को शराब एवं ताड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए धन्यवाद देती हूं। जीविका ने मेरे जीवन में खुशियों का फूल खिला दिया है। मेरा परिवार काफी खुशहाल है।

जीविका दीदी श्रीमती मिलन कुमारी ने बताया कि जीविका योजना की ही देन है कि आज मैं मुख्यमंत्री जी के सामने उपस्थित हूं। आप महात्मा गांधी के सपनों को साकार करते हुए हर घर पेयजल, भोजन, वस्त्र और लोगों को आवास की सुविधाएं पहुंचाने का काम कर रहे हैं। आज गांव के लोग भी स्वच्छता के साथ रहते हैं। शराबबंदी से पहले लुंगी फटा रहने के बाद भी लोग शराब खरीदकर पीते थे। बच्चों को भरपेट भोजन नसीब नहीं था। शराबबंदी और जीविका योजना से गरीब-गुरबा परिवार में खुशहाली लौटी है। महिलाओं का मान-सम्मान बढ़ा है। हम जीविका दीदियों को जीने की राह मिली है। आपसे आग्रह है कि शराबबंदी चालू रखिए। शराब की दुकानें पुनः न खुलें

बालिकाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक कर रही जीविका दीदी श्रीमती जेहरा खातून ने बताया कि वर्ष 2012 में वह जीविका समूह से जुड़ने के बाद बैंक में बचत खाता खुलवाया।
पहले मजदूरी का काम करते थे। स्वयं सहायता समूह से कर्ज लेकर पति के लिए एक ठेला खरीदी, इसपर वे फल बेचने लगे, इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आई। बच्चे पढ़ने लगे। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिला। जीविका योजना चलाने के लिए मैं मुख्यमंत्री जी का आभार प्रकट करती हूं। आपने हमें जीना और चलना सिखाया। आपके आशीर्वाद से अब हम दौड़ने के लिए तैयार हैं।

स्वास्थ्य पोषण के प्रति लोगों को जागरूक कर रही जीविका दीदी श्रीमती अमिता सिंह ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उन्होंने 25 हजार रुपये का कर्ज लिया और दुकान खोली। दुकान से मुनाफा मिलने लगा। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई। वर्ष 2020 में मुझे स्वास्थ्य पोषण के क्षेत्र में काम करने का मौका मिला और मानदेय मिला जिससे मैं सिलाई मशीन खरीदकर कपड़े सिलने का काम भी करने लगी। गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं के खान-पान एवं स्वास्थ्य संबंधी परामर्श घर-घर जाकर देती हूं। शराब से होनेवाले नुकसान के प्रति लोगों को आगाह करती हूं। मेरी पहल पर कई जीविका दीदियों ने पोषण बगीचा लगाया है जिससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। ग्रामीण इलाकों में आपने काफी जन सुविधाएं दी हैं, मैं इसके लिए आपका धन्यवाद करती हूं।

जीविका दीदी श्रीमती अमृता देवी ने बताया कि मैं शिक्षित होने के बावजूद भी बेरोजगार थी। अगस्त 2017 में जब मुझे जानकारी हुई तो मैं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर कर्ज लिया और गाय खरीदकर दूध बेचने का काम शुरू की। इससे घर का खर्च चलता था । वर्ष 2019 में मैं कौशिकी दुग्ध उत्पादक कंपनी से जुड़ी जिसमें पशुओं का चारा, पशु गर्भाधान, पशु चिकित्सा एवं दूध संग्रहण की सुविधा उपलब्ध थी। मैंने जीविका दीदियों को भी कंपनी से जुड़ने की सलाह दी। अब 40 हजार जीविका दीदियां जुड़ गई हैं। प्रतिदिन 70 से 80 हजार लीटर दूध का संग्रहण होता है। हमलोग विभिन्न तरह के उत्पाद दूध से बनाकर उसकी पैकेजिंग कर बाजार में आपूर्ति करते हैं। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करती हूं।

संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष समाधान यात्रा के दौरान विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। इसी सिलसिले में जीविका दीदियों के साथ मिलने और उनकी बात सुनने का मौका मिला है। आज यहां 6 जीविका दीदियों ने अपना अनुभव साझा किया है।

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