बिहारराजनीति

राजद का तीन दिवसीय “अम्बेडकर परिचर्चा ” शुरू , प्रत्येक दिन 2 सत्र होंगे

पटना । राजद के प्रदेश कार्यालय में आज पार्टी का तीन दिवसीय “अम्बेडकर परिचर्चा” की शुरुआत हुई। जिसमें राज्य के लगभग एक सौ प्रतिभागी के साथ हीं पार्टी के वरिष्ठ नेता भाग ले रहे हैं।
परिचर्चा कुल 6 सत्रों में होगा। प्रति दिन दो-दो सत्र होंगे जिसमें अलग-अलग विषयों पर चर्चा होगी। आज प्रथम दिन पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव ने परिचर्चा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए विषय प्रवेश कराया। आज के दो सत्रों में ‘बाबा साहेब का जीवन एवं दर्शन’ एव ‘मनुस्मृति बनाम संविधान ‘ विषय पर चर्चा हुई। आज के सत्र को सर्वश्री उदय नारायण चौधरी, जयप्रकाश नारायण यादव, श्याम रजक, मंत्री प्रो. चन्द्रशेखर, वृषण पटेल, सुरेश पासवान, चित्तरंजन गगन, मुजफ्फर हुसैन राही , एज्या यादव , ऋतु जायसवाल एवं ई. संतोष यादव ने सम्बोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय महासचिव बीनु यादव, मंत्री डॉ शमिम, मंत्री सुरेन्द्र राम, पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम , पूर्व सांसद सरफराज अहमद, अनिल सहनी, अर्जुन यादव , विधायक शक्ति सिंह यादव, प्रो. रामबली सिंह चन्द्रवंशी,मुकेश रौशन, संजय गुप्ता,सुदय यादव, रणविजय साहू ,विजय सम्राट, राजेश कुमार सिंह,मंजू अग्रवाल, सतीश दास , मुन्नी रजक , फतेह बहादुर सिंह, निरंजन राय , रामवृक्ष सदा , राजेश कुमार गुप्ता, चन्द्रहास चौपाल, पूर्व विधायक राजेन्द्र कुमार राम , केदार गुप्ता, अनिल यादव, समता देवी, आजाद गांधी, रामविलास पासवान , सीताराम यादव, रामावतार पासवान, सहित देवकुमार चौरसिया, गौतम कृष्ण, सारिका पासवान, उर्मिला ठाकुर , अरविन्द सहनी , सिपाही लाल महतो,शोभा कुशवाहा, राजेश यादव, श्रीमती मुकुंद सिंह , नन्दु यादव, प्रमोद राम , निर्भय अम्बेडकर, मधु मंजरी के अलावा कई अन्य विधायक, पूर्व विधायक और पार्टी नेता उपस्थित थे।
राजद प्रवक्ता ने बताया कि कल दूसरे दिन मनुस्मृति-वर्ण व्यवस्था पर बाबा साहेब अम्बेडकर के विचार ‘ एवं ‘लालू के सरकार में दलितों एवं वंचितों के लिए दिये गये संवैधानिक अधिकारों पर केन्द्र सरकार के द्वारा हमला’ पर चर्चा होगी। तीसरे दिन प्रश्नावली उत्तर का सत्र होगा और वरिष्ठ नेताओं का सम्बोधन होगा।
आज के सम्बोधन में वक्ताओं द्वारा बाबा साहेब के जीवन एवं दर्शन पर विस्तार से चर्चा हुई। इसके साथ हीं सुनियोजित तरीके से देश के संवैधानिक व्यवस्था के स्थान पर मनुस्मृति की व्यवस्था लागू करने की हो रहे साजिश को रेखांकित किया गया।

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