बिहारराजनीति

बिहारशरीफ में ऐपवा और भाकपा-माले की टीम को साम्प्रदायिक उन्माद से प्रभावित इलाकों में जाने से रोका गया

बिहारशरीफ.बिहारशरीफ में विगत दिनों हुए सांप्रदायिक उन्माद – उत्पात की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति का जायजा लेने के लिए भाकपा-माले और ऐपवा की एक उच्चस्तरीय टीम ने आज बिहार शरीफ का दौरा किया, लेकिन जिला प्रशासन ने टीम को प्रभावित इलाकों में जाने से रोक दिया. टीम ने इस घटना की कड़ी भर्त्सना की और कहा कि प्रशासन का रवैया अलोकतांत्रिक है. उन्हें जिस वक्त उन्माद की घटनाओं को लेकर चिंतित होना चाहिए था, उस वक्त तो वे खामोश बैठे रहे, आज जब महिलाओं की टीम पीड़ित महिलाओं और शैक्षणिक केंद्रों पर हुए हमले की जांच करने और सद्भावना का संदेश लेकर आई है, तब उन्हें रोका जा रहा है. यह प्रशासन की विफलता है.
टीम में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, राज्य सचिव शशि यादव, फुलवारीशरीफ विधायक गोपाल रविदास, अनीता सिन्हा, जुही निशाँ, आफ़सा जबी, आरिफा अनीस आदि शामिल थे.
बाद मे, पार्टी कार्यालय में ही टीम ने कुछ प्रभावित लोगों को बुलाकर बातचीत की और 31 मार्च की हुई घटनाओं और उसके बाद की अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट ली.
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि धारा 144 के बावजूद 7 अप्रैल को चौरा बगीचा में उन्माद और लूट की घटनाएं घटी जो बेहद चिंताजनक है. प्रशासन उल्टे मुस्लिम समुदाय के ऊपर हमले कर रही है और उनकी गिरफ्तारी हो रही है, जबकि मुस्लिमों की ही दुकान लूटी गई और मदरसा/कॉलेजों को जला दिया गया.
लेकिन दूसरी ओर से हमें अभी खबर मिल रही है कि स्थानीय निवासियों ने कई मुस्लिम परिवारों को बचाने का काम* किया और हिंदू – मुस्लिम एकता की अच्छी मिसाल पेश की. जब उन्मादी मुस्लिम समुदाय की दुकानें लूट रहे थे और उन्हें मारने की कोशिशें हो रहीं थी तो उन्हें प्रशासन ने नहीं बल्कि स्थानीय लोगों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर उनकी सुरक्षा की. अन्यथा उन्माद का स्तर और बड़ा होता.
बिहारशरीफ में मुस्लिम समुदाय की न केवल दुकानें लूटी और जलाई गईं, बल्कि ऐतिहासिक अजीजिया मदरसा और पुस्तकालय को जलाकर पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. सोगरा कॉलेज में भी आग लगाई गई. करीब 100 साल पहले इस मदरसे की स्थापना अब तक गुमनामी के अंधेरे में रहीं राज्य की संभवतः पहली मुस्लिम महिला शिक्षाविद बीबी सोगरा द्वारा अपने पति मौलवी अब्दुल अजीज की याद में स्थापित किया गया था, जो औपनिवेशिक सरकार की नौकरी छोड़कर 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे और अपनी एकमात्र बेटी की मौत के शोक में खुद दुनिया से चल बसे थे.
4500 से ज्यादा मुस्लिम धर्मग्रंथ और किताबें जलकर नष्ट हो गए. बस्तानिया से लेकर फ़ाज़िल तक की डिग्री जलकर राख हो गई. हजारों छात्रों का भविष्य पल भर में खत्म हो गया. कंप्यूटर व फर्निचर पूरी तरह जलकर ख़ाक हो गए. यह वह मदरसा है; जहां क़ुरान, हदीस, फ़िक़ह के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, अरबी, गणित, भूगोल आदि की भी पढ़ाई होती है. जहां 500 से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ा करते हैं. यह देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब, अल्संख्यकों की पहचान और शिक्षा के केंद्र पर सचेत फासिस्ट हमला है. मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देती है, लेकिन उसकी विध्वंसक विचारधारा सबसे पहले शैक्षणिक केंद्रों को ही निशाना बनाती है.
बिहारशरीफ की घटना में स्थानीय भाजपा विधायक डॉ सुनील सिंह की भूमिका की जांच और सभी पीड़ित परिवारों की हुए नुकसान का सर्वे करते हुए उचित मुआवजे, न्याय और मदरसा और सोगरा कॉलेज के पुनर्निर्माण की अपनी मांग उठाई.
यह भी घोषणा हुई कि 11 से 14 अप्रैल तक पूरे बिहार मे उन्माद उत्पात की घटाओं और शिक्षा के ऐतिहासिक केंद्र पर सुनियोजित हमले के खिलाफ सद्भावना एकजुटता अभियान चलेगा और 14 अप्रैल को बिहार शरीफ मे भी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होगा. कार्यक्रम में भाजपा के नेतृत्व में चल रहे इस साम्प्रदायिक उन्मादी अभियान के खिलाफ़ आयोजित सद्भावना मार्च में सभी लोकतंत्र पसंद, शांति प्रिय नागरिकों तथा महागठबंधन के दलों से भी शामिल होने की अपील होगी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button