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बढ़ती उम्र पर्दे पर भाई जान’ की चुगली कर रही है, कहानी और स्क्रीप्ट भी कमजोर  

आलोक नंदन शर्मा, मुंबई। भारतीय फिल्म अभिनेता सलमान खान की फिल्मों का अपना एक फार्मूला होता है। इमोशन + एक्शन + कॉमेडी = सलमान खान  की फिल्म। सलमान खान अपने इस फार्मूले को कभी तोड़ते नहीं है, या यूं कहा जाये कि तोड़ने की जरूरत ही नहीं समझते हैं। उन्हें भी पता है और उनको लेकर फिल्म बनाने वाले लोगों को भी पता है कि उनकी फिल्मों को इसी फार्मूले पर कसना है। ईद के ठीक एक दिन पहले रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ अपवाद नहीं है। उसे भी इमोशन + एक्शन + कॉमेडी के ग्रामर पर ही कसा गया है।

कह सकते हैं कि यह बड़ी बजट की पोपुलर केटेगरी में आनी वाली फिल्म है, मुनाफा कमाने का पूरा दारोमदार सिर्फ और सिर्फ सलमान खान के कंधों पर है। लेकिन सलमान खान शायद भूल गये हैं कि कंधा चाहे कितना भी मजबूत क्यों  न हो बोझ ढोते रहने की उसकी भी एक उम्र होती है।चाहे कितना भी उम्दा मेकअप कर लिया जाये उम्र कैमरे के सामने चुगली करने लगती है। फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ में मेकअप आर्टिस्ट लेकर  कैमरामैन की पुरी कोशिश के बावजूद सलमान खान अपनी ढलती हुई अवस्था को कैमरे से नहीं छुपा पा रहे हैं। उम्र का असर उनकी संवाद अदाएगी में भी साफ तौर से नजर आ रहा  है।

एक समय था जब एंग्रीमैन मैन अमिताभ बच्चन की फिल्में एक के बाद एक धड़ाधड़ फ्लॉप होती  चली गई थी क्योंकि वह अपनी बढ़ती उम्र में भी युवाओं के किरदार निभा रहे थे और उनका उम्रदराज चेहरा उनके किरदार का साथ नहीं दे रहा था। बाद में जब वह अपने उम्र के हिसाब से अपने लिए किरदारों का चयन करने लगे तो एक बार फिर उनका सितारा चमक उठा और दर्शक उनके बदले हुए अंदाज को काफी पसंद भी करने लगे।

अभी 57 वर्ष के सलमान खान इस बात को मानसिकतौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि उनकी बढ़ती हुई उम्र उनके  फिल्मी किरदार के साथ तालमेल नहीं कर पा रही है। सलमान खान को अमिताभ बच्चन से सीखने की जरूरत है। तकनीक का इस्तेमाल करके जबरदस्ती का एक्शन हीरो बनने के बजाये उन्हें अपने लिए अब बेहतरीन कहानी और मजबूत स्क्रीप्ट का चयन करना चाहिए, जैसे आमिर खान करते हैं। और नहीं तो उन्हें अपनी फिल्म ‘बजरंगी भाई जान’ से ही सीखने की जरूरत थी। इस फिल्म की कहानी जितनी खूबसूरत थी इस फिल्म सलमान खान का मेकअप और अभिनय भी उतना ही सहज था। तभी तो यह फिल्म दर्शकों के दिलों में सीधे उतरती चली गई  थी।  

 सलमान खान के फिल्म के निर्माण पर जितना खर्च किया जाता है, पब्लिसिटी का बजट भी उसी अनुपात में होता है। फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ की  पब्लिसिटी भी ग्रैंड स्टाईल में की गई। इसे ईद के साथ जोड़ा गया, यह कह कर कि यह सलमान खान के प्रशंसकों के लिए ईद का तोहफा है। लगभग सभी टीवी चैनलों और पत्र-पत्रिकाओं में इस फिल्म को लेकर लगातार तरह तरह की रिपोर्टें प्रसारित-प्रचारित की जाती रही। सबकुछ व्यवस्थित तरीके से होता रहा। इन रिपोर्टों का लब्बोलुआब यही था कि सलमान खान आज भी सुपरस्टार हैं, और उनके प्रशंसक उनकी इस फिल्म को लेकर दीवानगी की सभी हदों को पार करने के लिए तैयार हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि सलमान खान के चाहने वालों का अपना एक वर्ग है, वे हर किरदार में सलमान खान को पसंद करते हैं और करते रहेंगे। लेकिन यह भी सच है कि अब भारत के सिनेप्रेमी मन और मिजाज बदल चुका है। अपने दिमाग को फ्री छोड़कर हल्के-फूल्के फार्मूला आधारित फिल्मों से सस्ता मनोरंजन करने के बजाये अपने दिमाग की नसों को झंझनाने वाली कहानी पर बनी फिल्मों के साथ गुत्थम गुत्था करना ज्यादा पसंद करते हैं, एक्शन भी उन्हें अनट्रेडिशनल और क्रिएटिव  चाहिए होता है,न कि फार्मूलाबद्ध।

यह भी नहीं भूलना चाहिए कि डिजिटल क्रांति ने दुनियाभर की फिल्मों तक आम दर्शकों की रसाई बहुत ही सहज कर दी है। मोबाइल पर बटन दबाते ही हर जॉनर और दुनियाभर के हर भाषा की बेहतरीन और हालिया रिलीज फिल्में मोबाइल के  स्क्रीन पर तैरने लगती हैं। ऐसे में आम दर्शक प्रचार-प्रसार की उच्च तकनीक और सघन अभियान के बावजूद किसी फिल्म को सिनेमाघर में आकर देखने के पहले निश्चिततौर पर हजार बार सोंचता है, बेशक फैन्स फोलोअर्स की बात अलहदा है।

सलमान खान के पारंपरिक प्रशंसकों की कृतिम दीवानगी को यदि छोड़ दिया जाये तो आम दर्शक फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ से दूरी बनाते हुए दिख रहे हैं। फिल्म की कहानी भी बिखरी हुई है और स्क्रिप्ट भी। पूरा ध्यान सिर्फ सलमान खान के भाई जान के किरदार को निखारने में लगाया गया है। पूरी फिल्म पर सलमान खान हावी है, इंपोज्ड सुपरस्टार के तौर पर। फिल्म के निर्देशक फरहाद सामजी अपनी पूरी ताकत सलमान खान पर पॉलिस करने मे लगाये हुए नजर आ रहे हैं, बावजूद इसके वह सलमान खान के किरदार को कोई नया आयाम देने में नाकाम रहे हैं। पहले के फिल्मों में निभाये गये उनके उनके पूर्ववर्ती किरदारों का पुनरावृति है  किसी का भाई की जान, एक्शन और इमोशन का स्तर भी वही है, संवाद अदायगी में और गिरावट ही आयी है।

गौरतलब है कि फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ साउथ फिल्म ‘वीरम’ की रिमेक है, जिसे अजित कुमार ने बनाया था। निर्देशक फरहाद सामजी या तो ‘वीरम’ को ठीक से कन्सीव नहीं कर पाये या फिर उनके ऊपर सलमान खान की आभा हावी रही और वह अपना पूरा जोर सलमान खान की इस आभा को और चमक प्रदान करने में लगाते रहे।

इस फिल्म में सलमान खान के अलावा पूजा हेगड़े, वेंकटेश, जगपति बाबू, भाग्यश्री, भूमिका चावला, राघव जुयाल, शहनाज गिल, तेज सप्रू, आसिफ शेख और सतीश कौशिक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नोट : सलमान खान को अलग अलग गेटअप में देखने के लिए फिल्म ‘सकते हैं।

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