झारखण्ड

नियति को भी टाइगर होने का ऐहसास कराया : हेमंत सोरेन

आज सुबह जब राजनीतिक योद्धा और संघर्ष के प्रतीक जगरनाथ दा के निधन की खबर मिली तो मैं निः शब्द होने के साथ मर्माहत हो उठा।

जगरनाथ दा इस सरकार में मंत्री के साथ साथ मेरे बड़े भाई और एक ऐसे अभिभावक की भूमिका में थे जो गलतियां होने पर डांट भी लगा देते थे और कभी पीठ भी थपथपा देते थे।

टाइगर के नाम से मशहूर जगरनाथ दा ने अपने संघर्ष , कर्तव्य निष्ठा, सादगी, और विचारों की स्पष्टता के कारण अपनी खास और अलग पहचान बनाई।

निर्धारित लक्ष्य हर हाल में हासिल करने की उनकी जिद से मैने बहुत कुछ सीखा। कई बार विषम परिस्थितियों में उनके सलाह,विचार और हौसला आफजाई ने हिम्मत दी और लड़ने का जज्बा दिया।

जगरनाथ दा को यूं ही टाइगर नही कहा जाता था । कोरोना काल में गंभीर रूप से ग्रसित होने के बावजूद उन्होंने नियति से लंबी लड़ाई लड़ी और जीत कर अपने टाइगर होने को चरितार्थ कर दिखाया। आखिरकार हुआ वही जो नियति को मंजूर था।

जगरनाथ दा जैसे व्यक्तित्व की कमी की भरपाई करना संभव नहीं है। उनकी कमी जीवन भर खलेगी। उनकी शिक्षा, उनका मार्गदर्शन और उनका आशीर्वाद मुझे आगे का रास्ता दिखाएगा। जगरनाथ दा ने अपने मंत्रित्व काल के दौरान शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे निर्णय लिए जिसे झारखंड हरदम याद रखेगा।

अलग झारखंड के मुखर योद्धा जगरनाथ दा की सोच और उनके संकल्पों को पूरा कर उसे साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमारी सरकार एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार उनके सोच और विचार को साकार करने के प्रति तब तक संकल्पित रहेगी जब तक उसे हासिल नहीं कर लिया जाता।

अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन जी के निधन के वक्त जिस शून्यता का एहसास हुआ था उसी शून्यता का एहसास आज हो रहा है। ईश्वर अपने श्री चरणों में दिवंगत आत्मा को स्थान दें और उनके परिवार और समर्थकों को इस दुःख में खुद को संभालने का साहस और सामर्थ्य दे यही प्रार्थना है। जगरनाथ दा अमर रहेंगे क्योंकि उनके विचार, सिद्धांत और मार्गदर्शन हमारी सरकार और हमारी पार्टी को सदैव दिशा दिखाते रहेंगे।

जगरनाथ दा दिल में थे दिल में रहेंगे

हम कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते रहेंगे

आपका संघर्ष बेकार नहीं जायेगा

हर हाल में सोच साकार होगा

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