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धार्मिक मान्यताओं वाला जिच्छो पोखर में दिन प्रतिदिन बड़ रहा है गंदगी

 

पीरपैंती (भागलपुर)

रिपोर्ट।~ अहद मदनी

संपादन ~ चुन्नू।सिंह।

पीरपैंती प्रखण्ड के मानिकपुर पंचायत स्थित ऐतिहासिक जिच्छो पोखर जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच गया है । जंगल व गंदगी की पोखर पूरी तरह से पटा हुआ है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह पोखर डेढ़ सौ साल पुराना है। मान्यता ये है कि इस पोखड़ में स्नान करने पर नि:संतान महिलाओं की गोद भर सन्तान प्राप्ति की इक्षा पूर्ण हो जाती है। बिहार, झारखंड, बंगाल और भारत के कई हिस्सों से दंपत्ति संतान प्राप्ति की संकल्प लिये इस पोखर में स्नान करने आते हैं। 

*स्नान करने से भरती है सुनी गोदें*

क्या आपने कभी सुना है कि किसी पोखर में स्नान करने से सुनी गोदें भर जाती है, पर ये हकीकत है और ये मान्यता अंग्रेजी जमाने से यहां चली आ रही है । बड़े बड़े वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के द्वारा संतान प्राप्ति की आईभीएफ की तरह सुविधाएं उत्पन होने के वावजूद बिहार प्रदेश में भागलपुर जिले के कहलगांव अनुमंडल के जिच्छो पोखर का एक अनूठी धार्मिक मान्यता का प्रतीक माना जाता है। पीरपैंती प्रखंड के मानिकपुर पंचायत स्थित जिच्छो पोखर के मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि करीब सौ साल पूर्व से लोगों की यहां  एक अलग ही आस्था जुड़ी हुई है। बताया जाता रहा है कि निसंतान दम्पत्ति सुनी गोद को भरने के लिए इस जिच्छो पोखर स्नान करने पहुंचते  है ।  लोग इस जगह से कभी निराश नही लौटे है। पोखर के जल में न जाने ऐसी कौन सी शक्ति है कि यहाँ आने वाली हर महिला का जीवन संतान सुख के साथ नन्ही किलकारियों से भर जाता है। लेकिन बेपरवाह प्रशासनिक रवैये के कारण पोखर का अस्तित्व विलुप्त होने के कगार पर पॅहुच गया। स्थानीय ग्रामीणों की खराब नियती के कारण लगभग 10 एकड़ में फैला इस पोखर का दायरा क्षेत्र धीरे धीरे कम होता जा रहा है। पोखर की अच्छी तरह से पोखर की साफ सफाई के लिए संजीविनि गंगा के सचिव सह गंगा प्रेमी मो. अयाज ने कहा की सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार जीच्छो का अर्थ जीवन देने वाला होता है। उन्होंने बताया कि विवाह के पश्चात जिन महिलाओं की गोद सूनी रहती है या वो महिला जिनको पुत्र प्राप्ति के बाद भी संतान जीवित नहीं रहता है, ऐसी महिला को मरोक्छ कहा जाता है। शायद इसलिए इन दोनो स्थिति में जब महिला स्नान करती हैं तो उनका सुना गोद भर जाती है, और पुनः होने वाली संतान बच जाती है। इसलिए 

जिच्छो में जीव के बदले जीव दान करने की परंपरा प्रचलित है। कहा जाता है कि जिच्छो में ग्राम,देवता का आवास रहता है। और ये पुख्ता प्रमाण है कि बहुत सी मरोक्छ महिलाएं अपनी दूसरी संतान का नाम जीछू रखती हैं। यहां केवल हिंदू महिलाएं नहीं बल्कि अन्य सभी धर्मो की महिलाएं भी स्नान कर मनवांछित फल की प्राप्ति करती हैं जिनके सैंकडों उदाहरण देखने को मिल रही हैं।

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