पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने देश के संविधान निर्माता भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर हाजीपुर के चौहरमल नगर में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की शुरुआत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बाब साहेब के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण कर किया।
समृद्ध संविधान के जरिए देश के मौजूदा समाजिक ढ़ांचे के निर्माण में बाबासाहेब के योगदान का उल्लेख करते हुए चिराग ने कहा कि भारत का कोई भी व्यक्ति अगर आज सम्मान और अधिकार की बात करता है, तो इसका श्रेय बाबासाहेब को जाता है। वह उस संविधान के शिल्पकार थे जो हर व्यक्ति को जन्म से ही यह अधिकार देता है कि वह अपने तरीके से अपने संपूर्ण जीवन को ससम्मान जी सकता है।
चिराग ने कहा कि आज का दिन आने वाली पीढी को बाबासाहेब के विचारों को, सिद्धान्तों और सपनों को समझना जरूरी है। जयंती और पुण्यतिथि ऐसे दिन होते हैं जब सभी एक-दूसरे को आने वाली पीढी को हमारे पूर्वजों के सिद्धांतों और उनके विचारों से रुबरु कराया जाता है। बाबासाहेब अंबेडकर ने एक गरीब अनुसूचित जाति में जन्म लिया और तमाम विपरीत परिस्थितियों व बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने का काम किया। वे देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। उन्होंने कभी भी अपनी जाति और विपरीत परिस्थितियों को पिछड़ने का कारण नहीं बनने दिया और हमेशा आगे बढ़ते रहे। वे अपने लिए, अपने समाज के लिए और इस देश के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे। उनके द्वारा बनाए गए संविधान में किए प्रावधान ही कारण है कि उनके जाने के बावजूद आज भी अनुसूचित जाति/जनजाति पिछड़े वर्ग के लोगों को ना सिर्फ उनका अधिकार मिलता है बल्कि आगे बढ़ने का मौका मिलता है।
चिराग ने आगे कहा कि आज जब हमलोग यहां एकत्रित हुए हैं तो यह समय है इस बात की समीक्षा और आकलन करने का कि क्या सही मायनों में जिस सोच का बिहार, जिस कल्पना का देश बाबासाहेब बनाना चाहते थे क्या वैसा हुआ। क्या आज भी जिस तरीके से वे समाज के हर वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ना चाहते थे क्या हर वर्ग मुख्यधारा से जुड़ा? नहीं ऐसा नहीं हुआ। आजादी के 75 साल बाद आज भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जहां समाज में जाति के नाम पर भेदभाव किया जाता है, जहां अलग-अलग धर्म व समुदाय के नाम पर भेदभाव किया जाता है। आज भी एक दलित युवक को घोड़ी पर चढ़ने से रोका जाता है। आज भी एक गरीब दलित परिवार के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाता है। इन्ही तमाम कुरीतियों के खिलाफ ही बाबासाहेब डॉ भीमराम अंबेडकर ने संघर्ष किया था और संविधान का निर्माण किया था। संविधान मे अनुसूचित जाति/जनजाति ऐसी दो धाराएं बनाई गई हैं जिनके अलग-अलग आधार हैं। अनुसूचित जाति की अगर बात करें तो उसमें ऐसी जातियों का नाम लिखा गया है जिनका आधार कहीं ना कहीं छुआछूत रहा है, जिनको छुआछूत का आधार पर गांव से बाहर रखा जाता था। ऐसी जाति के लोग जिनके गले में घंटी बांध दी जाती थी , झाड़ू लटका दिया जाता था ताकि गांव से गुजरे तो लोग अपने घरों के दरवाजे बंद क लें।
इस दौरान चिराग ने विरोधियों पर भी खुब निशाना साधा।
चिराग ने कहा कि भ्रष्टाचार, संप्रदायिक दंगे जातियों में विभेद करवाना, भाई से भाई को लड़वाना तो क्या बदला इतने सालों में। जो लोग बड़े हितैषी बनते हैं बाबासाहेब का नाम लेते नहीं थकते कहां गए वे लोग। वे बाबा साहब का नाम सिर्फ इसलिए लेते हैं कि अनुसूचित जाति/जनजाति का वोट ले सकें।
चिराग ने पूछा कि कहां थे वे लोग जब संविधान के निर्माता, जिनकी वजह से पूरी संसद चलती है, जिनकी वजह से कानून व्यवस्था है उनकी एक तस्वीर तक भारत के संसद में नहीं थी, जबकि एक ही परिवार के कई ऐसे नेता हैं जिनकी दो-दो तीन-तीन पीढ़ियों की तस्वीर वहां टंगी है। 1989 से पहले जब तक बीपी सिंह की सरकार नहीं बनी थी तब तक बाबासाहेब की एक तस्वीर तक भारत के संसद में नहीं थी। बाबासाहेब का पहला तैल्यचित्र भारत की संसद में लगवाने का काम हमारे नेता आदरणीय रामविलास पासवान जी ने किया। आज हम गर्व से बोलते हैं कि भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न का सम्मान दिलवाने का काम आदरणीय रामविलास पासवान जी ने किया । पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य रूप से पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार राष्ट्रीय महासचिव शंकर झा सत्यानंद शर्मा अच्युतानंद सिंह श्री कृष्ण कुमार सिंह डॉ शाहनवाज अहमद कैफी अनिल पासवान प्रदेश अध्यक्ष श्री राजू तिवारी प्रधान महासचिव संजय पासवान संगठन मंत्री रविंदर सिंह संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडे प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश रोशन गबरू सिंह संजय कुमार सिंह अशरफ अंसारी सिंह संजय सिंह परशुराम पासवान वेद प्रकाश पांडे अमित कुमार रानू रंजन सिंह सोनू इंदु कश्यप सिंह कामेश्वर सिंह मुन्ना शोभा सिन्हा पासवान अवधेश सिंह श्रीकांत पासवान मौजूद थे