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अमेरिका ने कहा- भारत पर प्रतिबंध लगाने का विचार नहीं, दोनों देशों के संबंध काफी महत्वपूर्ण

धर्मेन्द्र, नई दिल्ली।अमेरिकी विदेश विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी (यूरोपीय और यूरेशियन मामले) केरेन डोनफ्राइड (Karen Donfried) ने बुधवार को कहा कि रूस से तेल खरीदने में भारत की ओर से अपनाए गए दृष्टिकोण से अमेरिका सहज है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का भारत पर प्रतिबंध लगाने का कोई विचार नहीं है, क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं। भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद के संबंध में मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए डोनफ्राइड ने कहा, ‘हम भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। भारत के साथ हमारे संबंध सर्वाधिक परिणामी संबंध हैं।

अमेरिकी राजनयिक ने मानवीय सहायता के जरिए यूक्रेन के लोगों का समर्थन करने और बातचीत से रूस-यूक्रेन युद्ध को तत्काल खत्म करने के भारत के आह्वान का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस दशक के अंत तक रूस के तेल और गैस उत्पादन में 50 फीसदी की गिरावट आएगी। हमारा प्रतिबंध लगाने की नीति में विश्वास नहीं है। भारत ने जो रुख अपनाया है, उससे हमें कोई परेशानी नहीं है। रूस के बजट घाटे में पहले से ही परिणाम दिख रहा है। अमेरिकी अधिकारी ने आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे का स्वागत करते हैं कि आज का युग युद्ध का नहीं है। साथ ही पिछले साल नवंबर में बाली जी20 शिखर सम्मेलन में वार्ता और कूटनीति के लिए उनकी टिप्पणियों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका सराहनीय है।भारत-अमेरिका ऊर्जा सुरक्षा एजेंडा महत्वपूर्ण

वहीं, अमेरिका के ऊर्जा संसाधन विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी जियोफ्रे पयाट (Geoffrey Pyatt) ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले एक साल में वैश्विक ऊर्जा बाजारों को बाधित करने के लिए जो कुछ किया है। उसको देखते हुए भारत और अमेरिका जिस ऊर्जा सुरक्षा एजेंडा पर आगे बढ़ रहे हैं, वह काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि रूस के तेल और गैस संसाधनों को हथियार बनाकर पुतिन ने दिखा दिया है कि रूस फिर कभी भी विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्तिकर्ता नहीं बन सकेगा। रूस ने वैश्विक तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि भी की, जो अभी दुनियाभर में जारी है। रूस के भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता होने के संबंध में मीडिया के सवाल का उत्तर देते हुए पयाट ने कहा कि भले ही भारत प्राइस कैप में भागीदार नहीं है, फिर भी इसने अपने बातचीत के लाभ का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है। तथ्य यह है कि रूसी कच्चे तेल की कीमत अधिक होने के कारण वैश्विक बाजार का बड़ा हिस्सा अब रूस से खरीदारी नहीं कर रहा है।

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