बिहारराजनीति

केन्द्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामा अर्थहीन : विजय कुमार चौधरी

पटना। जनता दलयू मुख्यालय में बिहार सरकार के वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जातीय गणना मामलों से जुड़ा दायर हलफनामा न सिर्फ हास्यास्पद है, बल्कि बिहार की गरीब जनता के हितों के बिल्कुल विपरीत भी है। जातीय गणना के मामला पर बीते कई महीनो से माननीय उच्च न्यायालय से माननीय सर्वोच्य न्यायालय तक सुनवाई चलती रही है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इसमें सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं की थी। विभिन्न माध्यमों से कुछ लोग जनहित याचिका दायर कर जातीय गणना को बाधित करना चाहते थे, मगर माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने बिहार सरकार के सामाजिक न्याय की अवधारणा पर मुहर लगाते हुए जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण के पक्ष में अपना फैसला सुनाया।
इसके खिलाफ याचिका दायर करने वाले लोग सर्वोच्च न्यायालय चले गए तब भी केंद्र सरकार की नींद नहीं खुली और जब ऐसा लग रहा था कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय जातीय गणना के अनुकूल फैसला देगी तब केंद्र सरकार अंतिम समय में उसमें कूद गई और अब केन्द्र के इस कदम के बाद जातीय गणना को लेकर भाजपा का असली चेहरा सबके सामने उजागर हो गया है।
श्री चौधरी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जो हलफनामा दाखिल किया गया था, उसको चंद घंटे बाद ही वापस लेकर उसमें संसोधन किया गया और संसोधित हलफनामा भी जातीय गणना में बाधा उत्पन्न करने के लिए दाखिल किया गया है। दूसरे हलफनामे में यह बात कही गई है कि जनगणना केंद्र सरकार का अधिकार है मगर आश्चर्यजनक विषय तो यह है की जो बात दूसरे हलफनाने में कही गई है वही बात माननीय मुख्यमंत्री जी ने कई बार दोहराया है, इसमें कोई विरोधाभास नहीं है। यह बात कहने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल करना बिल्कुल हास्यास्पद है। आज भी यह समझ से परे है कि केंद्र सरकार ने जो हलफनामे में दिया है उसका वास्तविक प्रसंग क्या है?
बिहार सरकार अर्थिक और सामाजिक स्थिति की वास्तविकता जानने के लिए जातीय गणना और सर्वेक्षण करवा रही है, यह कोई जनगणना नही है। माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने भी कहा की जातीय गणना जनगणना से बिल्कुल अलग है। भारत सरकार के ही सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम- 2008 के तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार प्राप्त है कि वो अपने क्षेत्र में जनता के सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आंकलन करने के लिए सर्वेक्षण का काम करवा सकती है इसके बावजूद तमाम तरह के हथकंडे अपना कर एवं साजिश रचकर भाजपा जातीय गणना में बाधा उत्पन्न करने का काम कर रही है, जो इसके वास्तविक चेहरे को बेनकाब करता है।
जातीय गणना को लेकर बिहार में जो सर्वदलीय बैठक हुई थी उसमें भाजपा के नेताओं ने भी इसके पक्ष में सहमति जताई थी परन्तु अब उनके सहमति के नीयत पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार भाजपा के नेता अब बताएं कि वो लोग सही है या हलफनामे दाखिल करने वाली केंद्र सरकार सही है? श्री विजय कुमार चैधरी ने कहा कि निश्चित रूप से जनगणना का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितनी संवेदनशील और ईमानदार है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि जो जनगणना 2021 में संपन्न होना था वह 2023 के 8 महिनो तक भी शुरू नहीं हुआ।
इस प्रेसवार्ता कार्यक्रम में पार्टी के विधानपार्षद संजय कुमार सिंह ‘‘गांधी जी’’ एवं प्रदेश महासचिव अरुण कुमार सिंह भी उपस्थित थे।

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