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सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के 81 वां जन्मोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न

गोवा। फोंडा – ‘सनातन संस्था’के संस्‍थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले का 81 वां जन्‍मोत्‍सव सप्तर्षि की आज्ञा से इस बार ‘ब्रह्मोत्‍सव’ के रूप में मनाया गया है । सनातन संस्था के गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्यों से आए लगभग 10,000 से भी अधिक साधकों की उपस्थिति में अत्यंत भावभक्तिमय वातावरण में मनाया गया । गोवा के फर्मागुडी में गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मैदान पर इस ‘ब्रह्मोत्सव’का भव्य आयोजन किया गया था । आंध्रप्रदेश के तिरुपति में बालाजी देवस्‍थान की ओर से सुवर्णरथ में श्री तिरुपती बालाजी की शोभायात्रा निकाली जाती है, उसे ‘ब्रह्मोत्सव’ कहते हैं । उसीप्रकार इस अवसर पर सागवान से बनाए हुए सुवर्णरथ में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की रथयात्रा निकाली गई ।

इस समारोह में झारखंड के प्रदीप खेमका, सुनीता खेमका, दिल्ली के संजीवकुमार, ‘पितांबरी’ उद्योगसमूह के रवींद्र प्रभुदेसाई एवं कर्नाटक के हिन्दुत्‍वनिष्‍ठ अधिवक्ता कृष्णमूर्ति ने मनोगत व्‍यक्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गोवा संघचालक राजन भोबे, म्हार्दाेळ के श्री महालसा मंदिर के अध्यक्ष प्रेमानंद कामत, गोमंतक संत मंडल के संचालक ह.भ.प. सुहास बुवा वझे, गोमंतक मंदिर महासंघ के अध्यक्ष भाई पंडित एवं कोकणी साहित्यकार महेश पारकर आदि मान्यवर उपस्थित थे ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में वर्ष 2021 में हुए सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव का लघुचलचित्र दिखाया गया । तदुपरांत निकाली गई रथयात्रा में धर्मध्‍वज, मंगलकलश लिए सुहागिनें, ध्‍वजपथक, मंजीरापथक इत्यादि ‘श्रीमन्नारायण नारायण…’ की धुन पर मार्गक्रमण कर रहे थे । सुवर्णरथ में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के साथ उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ विराजमान हुई थीं । इस अवसर पर नृत्‍यपथक ने ‘अच्‍युताष्‍टकम’पर आधारित नृत्‍य प्रस्तुत किया । तदुपरांत ‘आत्‍मारामा आनंदरमणा’ गीत प्रस्तुत किया गया । आभारप्रदर्शन एवं रथदर्शन से कार्यक्रम संपन्न हुआ ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में अप्रैल एवं मई, इन दो महीनों में सनातन संस्था द्वारा देशभर में ‘हिन्दू राष्ट्र जागृति अभियान’ चलाया जा रहा है । उसके अंतर्गंत अब तक अनेक प्राचीन मंदिरों की स्वच्छता, सैकडों मंदिरों में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए सामूहिक प्रार्थना, प्रवचन एवं अनेक स्थानों पर ‘हिन्दू एकता दिंडीं’ (दिंडी अर्थात फेरी) निकाली गई । इन सभी उपक्रमों में हजारों हिन्दुओं ने सहभाग लिया ।

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