झारखण्डशिक्षा

लखनऊ के भू वैज्ञानिकों के दल ने साहिबगंज जिले के राजमहल पहाड़ियों का किया भ्रमण

देखे जीवाश्म और हर हाल में संरक्षित करने पर दिया बल, डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह ने टीम का किया नेतृत्व

चुन्नु सिंह

साहिबगंज (झारखंड)

बुधवार ,13 मई 2024 को बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज लखनऊ के सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियो हेरिटेज एंड जियो टूरिज्म (सीपीजीजी) की टीम ने झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल पहाड़ियों का भ्रमण किया । भ्रमण के क्रम में बास्कोबेडो, तारा पहाड़, बास्कोला, गिलामारी, गुरमी पहाड़ के महत्वपूर्ण जीवाश्म क्षेत्रों का भ्रमण किया।

यह महत्वपूर्ण भ्रमण साहिबगंज जिले के मॉडल कॉलेज राजमहल के प्राचार्य और भू वैज्ञानिक डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में हुवा । भ्रमण में शामिल विद्वत जनों ने क्षेत्र के स्थानीय ग्रामीणों के साथ बातचीत की और उन्हें अपने आसपास के क्षेत्र में प्रचलित लकड़ी के जीवाश्मों के संरक्षण करने और संरक्षण के लिए अन्य आसपास के लोगों को जागरूक करने के बात पर ग्रामीणों के साथ बातचीत की और जीवाश्म हर हाल में संरक्षित हो इस बात पर ग्रामीणों के बीच बातचीत पर बल दिया ।

ज्ञात रहे की पिछले कई दशकों से स्थानीय ग्रामीण लकड़ी की जीवाश्म की पूजा अनुष्ठानों के साथ यह सोचकर करते रहे हैं कि यह आसपास की अलग चट्टानें हैं।

पिछली एक सदी में भारत के भूविज्ञानी, विशेष रूप से बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइंसेज, लखनऊ और दुनिया भर के गोंडवाना पौधे के जीवाश्म शोधकर्ताओं ने गोंडवाना वनस्पतियों और जीवाश्म लकड़ी को व्यवस्थित रूप से पहचाना और वर्गीकृत किया और भूवैज्ञानिक क्षेत्र में महत्व को समझा। अगली पीढ़ी, भूविज्ञानी शोधकर्ताओं और इस क्षेत्र के विज्ञान और वैज्ञानिक समझ में रुचि रखने वाले आम लोगों के लिए झारखंड की इन अद्वितीय जीवाश्म लकड़ी के संरक्षण की सख्त जरूरत है। इसे देखते हुए, सीपीजीजी के बैनर तले बीएसआईपी ने अद्वितीय जीवाश्म लकड़ी के संरक्षण के संबंध में आम लोगों के संयुक्त प्रयासों से झारखंड के वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी श्री मनीष तिवारी, राज्य और केंद्र सरकार के साथ एक जियो हेरिटेज साइट विकास योजना का प्रस्ताव रखा।

बीएसआईपी के निदेशक प्रोफेसर एमजी ठक्कर ने बातचीत की और चर्चा की कि इस क्षेत्र में एक अलग जियो पार्क कैसे विकसित किया जा सकता है । सीपीजीजी संयोजक डॉ. शिल्पा पांडे, विशेषज्ञ डॉ. सुरेश पिल्लई ने भी विशाल संभावनाओं को देखते हुए भू-स्थलों के व्यवस्थित विकास के लिए अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया है।

मॉडल कॉलेज राजमहल के प्राचार्य और भू वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने राजमहल क्षेत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तीसरे चरण की दिशा में एक रोड मैप भी सुझाया। उन्होंने यह बात रखा की जीवाश्म लकड़ियों का विरासत मूल्य अद्वितीय है और उन्हें उनकी प्राकृतिक परिस्थितियों में संरक्षित करने की आवश्यकता है, इसलिए यूनेस्को द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकृत मानदंडों को ध्यान में रखते हुए एक बड़े जियो पार्क का प्रस्ताव किया जाना चाहिए और जल्द ही यह प्रस्ताव किया जाएगा ।

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