पटना। जदयू मुख्यालय के कर्पूरी सभागार में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सह विधानपार्षद नीरज कुमार, जदयू महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष भारती मेहता, जदयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री धर्मेंद्र प्रसाद चन्द्रवंशी, अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, प्रदेश महासचिव रुबेल रविदास, हुलेश मांझी ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
इस मौक़े पर तमाम नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी पर आरक्षण विरोधी मानसिकता से ग्रसित होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपाशासित राज्य लक्ष्यदीप, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड में पिछड़ों के लिए कोई आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा शासित कई राज्यों में जाति आधारित 50 फ़ीसदी आरक्षण भी लागू नहीं है। भाजपाशासित उत्तराखंड में 14 फ़ीसदी, हरियाणा में 23 फ़ीसदी, मणिपुर में 17 फ़ीसदी, मध्यप्रदेश में 14 फीसदी और त्रिपुरा में 2 महज फीसदी आरक्षण पिछड़ी जातियों को दिया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ बिहार में दलित, महादलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलाकर कुल 75 फ़ीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
नेताओं ने कहा कि भाजपा किसकी सगी नहीं है। भाजपा ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी ठगने का काम किया है। क़ानून संशोधन और सर्वाेच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद भी भाजपाशासित राज्य मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश तथा एनडीए शासित और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, अंडमान-निकोबार पांडिचेरी, चंडीगढ़ में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर गरीबों को 10 फ़ीसदी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।
नेताओं ने पूछा कि बिहार भाजपा अगर वास्तव में आरक्षण के दायरे में बढ़ोतरी की पक्षधर है तो क्या प्रस्तावित संसद सत्र में बिहार कोटे से आने वाले भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मंत्री एवं सांसद 75 फ़ीसदी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करेंगे?
अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो बिहार का दलित, पिछड़ा, अति-पिछड़ा और सामान्य वर्ग गाँव एवं मोहल्लों में भाजपा नेताओं की घेराबंदी करेगा और उनसे सवाल पूछेगा।