बिहारराजनीति

क्या दैवीय आपदा है वज्रपात, इसे रोकने के लिए धार्मिक अनुष्ठान कर रही केंद्र सरकार : जदयू

पटना । जदयू मुख्य प्रवक्ता और विधानपार्षद नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा और प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान तीनों प्रवक्ताओं ने केंद्र सरकार पर वज्रपात को प्राकृतिक आपदा नहीं माने जाने पर गंभीर सवाल पूछे और कहा कि बीजेपी बताए कि अगर वज्रपात प्राकृतिक आपदा नहीं है तो क्या वो दैवीय आपदा है? पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि ये जगहाजिर है कि वज्रपात के चलते ज्यादातर गरीब तबके के लोगों की जानें जाती हैं जिनमें खेतिहर मजदूर, छोटे किसान और चरवाहा शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की प्राकृतिक आपदा की सूची में बाढ़, सुखाड़, भूस्खलन, भूकंप और साइक्लोन को तो शामिल किया गया है लेकिन वज्रपात को अभी तक शामिल नहीं किया गया है। जबकि बिजली गिरने से सालना हजारों लोगों की मौतें होती हैं और उनका परिवार उजड़ता है। एक आंकड़े के मुताबिक साल 2022 के दौरान वज्रपात से देश में 2 हजार 183 लोगों की मौत हुई थी। उन्होंने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी इस डर से वज्रपात को प्राकृतिक आपदा में शामिल नहीं करना चाहती है, कारण कि उसे लगता है कि इस प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को उसे मुआवजा देना पड़ेगा।
पार्टी के तीनों प्रवक्ताओं ने कहा कि राज्य में आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार वज्रपात को प्राकृतिक आपदा मानती है और वज्रपात के चलते मारे गए लोगों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से चार-चार लाख रुपए मुआवजा देती है, लेकिन केंद्र की जन विरोधी बीजेपी की सरकार मुआवाजा तो दूर वज्रपात को प्राकृतिक आपदा तक नहीं मानती है।
तीनों प्रवक्ताओं ने कहा कि सरकार की सूची में शामिल प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को एसडीआरएफ फंड से आर्थिक मदद दी जाती है, लेकिन केंद्र सरकार ने वज्रपात को चूंकि प्राकृतिक आपदा माना ही नहीं है, ऐसे में वज्रपात के चलते मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं मिल पाता है।
इस दौरान दोनों प्रवक्ताओं ने केंद्र की बीजेपी सरकार से कुछ अहम सवाल पूछते हुए कहा कि केंद्र सरकार बताए कि जब उसके मुताबिक वज्रपात प्राकृतिक आपदा नहीं है तो इसे रोकने के लिए क्या बीजेपी महामृत्युंजय जाप, नवरात्रि का अनुष्ठान करा रही है? केंद्र सरकार बताए कि क्या देश में बाढ़, सूखा,भूस्खलन, साइक्लोन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ज्यादा मौतें वज्रपात से नहीं होती है? केंद्र सरकार बताए कि करीब 86 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं और वज्रपात के सबसे ज्यादा शिकार छोटे भूमिहीन मजदूर, किसान या फिर चरवाहा समाज के लोग नहीं होते? खासकर बिहार और बंगाल में वज्रपात के चलते सैंकड़ों लोगों की जानें जाती है ऐसे में वज्रपात को प्राकृतिक आपदा क्यों नहीं मानती केंद्र सरकार?
वज्रपात से खासकर मजदूर, छोटे किसान और चरवाहा की मौत सबसे ज्यादा होती है ऐसे में गरीबों और दलितों की असमय मौत को लेकर संवेदनशील क्यों नहीं है केंद्र सरकार?

 

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