एक आम भारतीय होने के नाते मैं जानता हूँ कि कोई पुल एक झटके में नहीं गिरता।
गिरने की प्रक्रिया बहुत पहले से चल रही होती है।
सबसे पहले नेता गिरते हैं, फिर अधिकारी गिरते हैं, उसके बाद इंजीनियर गिरता है। इन तीनों के गिरने से फिसलन हो जाती है सो ठेकेदार भी गिर जाता है। बात यहीं नहीं रुकती, इस फिसलन को देख कर आम जनता भी खुद को रोक नहीं पाती, देखा देखी वह भी गिरने लगती है।
. हाँ तो जब इतने लोग गिर जाते हैं तो पुल को भी अपने खड़े होने पर शर्म आने लगती है। तो अपने निर्माताओं का साथ देने के लिए वह भी गिर जाता है। बात खत्म…
सच कहूँ तो हमारे देश में गिरना कभी लज्जा का विषय नहीं रहा। व्यक्ति जितना गिरता है, उसकी प्रतिष्ठा उतनी ही बढ़ती जाती है।
आप फेसबुक इंस्टा पर ही देख लीजिये, जो जितना ही गिरता/गिरती है, उसका रील उतना ही वायरल होता है। सिनेमा की कोई अभिनेत्री जितना गिरती है, उतना ही आगे बढ़ती जाती है। यहाँ तक कि एक लेखक भी जबतक गिरता नहीं… छोड़िये!
मैं कल एक मित्र से बातचीत कर रहा था। मित्र मुझे पुल गिरने के लाभ बता रहे थे। उन्होंने मुझे अर्थशास्त्र समझाते हुए बताया कि जब पुल गिरेगा, तभी न दुबारा बनेगा। दुबारा बनेगा तो मजदूरों को काम मिलेगा। सीमेंट, बालू, सरिया के रोजगारियों का धंधा चलेगा। नेता, अधिकारी कमीशन खाएंगे तो पैसा मार्किट में ही न देंगे! इस तरह पैसा घूम फिर कर जनता तक ही जायेगा, सो पुलों का गिरना जनता के लिए लाभदायक है। मित्र जिस कॉन्फिडेंस से मुझे समझा रहे थे उससे स्पष्ट हो गया कि वे भी कम गिरे हुए नहीं हैं।
हमारे देश में हर व्यक्ति अब गिरना चाहता है। वह केवल मौका तलाश रहा है। कब मौका मिले कि वह गिरे… पुल अकेले नहीं हैं, गिरने की यात्रा में !!!!
एक बात और कहूँ? यह तो नदियों के दोनों तटों को जोड़ने वाले पुल हैं दोस्तो!
हमारे यहाँ तो आदमी को आदमी से जोड़ने वाले पुल कबके ढह गए हैं।
हम जब उसपर दुखी नहीं हुए तो इसपर क्या ही होंगे। है न? क्योंकि हम सभी लगभग मित्रहीन हो चुके हैं,पर हमें इसका अहसास तक नहीं है
किसी ने ठीक कहा है
हर तरफ!हर जगह! बेशुमार आदमी!
फिर भी तन्हाईओं का शिकार आदमी!
सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ!
अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी!
हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते!
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी!
रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ!
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी!
घर की दहलीज़ से गेहूं के खेत तक
चलता फिरता कोई कारोबार आदमी!
ज़िंदगी का मुक़द्दर सफ़र-दर-सफ़र!
आख़िरी सांस तक बे-क़रार आदमी!
CPD ~
साभार ~BB Tiwari