बिहारराजनीति

उपेंद्र कुशवाहा के पास ना कोई सिद्धांत है ना ही विचारधारा, अनाप-शनाप बोल रहे हैं: उमेश सिंह कुशवाहा

  • इस बार जदयू में आने के बाद शुरू से ही पार्टी को कमजोर किया
  • महात्मा फुले के नाम पर सिर्फ अपने फायदे के लिए संगठन बना रखा है
  • पार्टी संविधान के अनुसार बैठक बुलाने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष को है

 

पटना। बिहार प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने मिडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के पास ना तो कोई सिद्धांत है ना ही कोई विचारधारा है। वो जिस पद को झुनझुना बताते हैं अगर उनमें तनिक भी नैतिकता हो तो उस झुनझुने की चर्चा ही क्यों करते हैं। अभी वो पार्टी के एक सदस्य मात्र हैं। अभी हाल के दिनों में प्रखंड से राष्ट्रीय अध्यक्ष तक संगठन का चुनाव हुआ है। परन्तु उसके बाद अभी तक ना तो प्रदेश और ना ही राष्ट्रीय कमेटी जारी की गयी है।

प्रदेश अध्यक्ष ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने उनको जो दिया है वही झुनझुना रखे हुए हैं और उसे बजा रहे हैं। राजनीति करने वालों की चाहत होती है सदन में जाने की, मुख्यमंत्री ने उन्हें जो दे दिया सो दे दिया, वापस क्यों लेंगे?  उन्हें स्वयं शर्म आनी चाहिए, जिस नैतिकता की वो बात करते हैं अगर रत्ती भर भी वो नैतिकता उनमें होती तो खुद निर्णय लेते, कोई उनसे कहे क्यों?  हमारे नेता ने दे दिया तो दे दिया। उपेंद्र कुशवाहा महत्वाकांक्षा के अतिरेक में अव्यवहारिक एवं अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं जो उनके राजनीतिक जीवन के ताबूत में अंतिम कील साबित होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संघर्षों से उपजी जदयू को कोई भी अवसरवादी नेता हिला नहीं सकता, वैसे उनके बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है। देश और समाज में सभी जानते हैं। जनता देख रही है जब भी उनके जीवन में राजनैतिक अंधकार आया तो हमारे नेता ने उन्हें प्रकाश दिया। इस बार भी उनके गिड़गिड़ाने पर हमारे दयालु नेता ने उन्हें विधान परिषद में भेज दिया और संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया था।

उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ठीक ही कहा है कि पार्टी संविधान के अनुरूप हर 3 वर्ष पर चुनाव होता है और अभी नई कमेटी जारी नहीं होने के फलस्वरूप कोई पदाधिकारी नहीं है। पिछली बार उपेंद्र कुशवाहा हमारे संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष थे। अभी उनको मीटिंग बुलाने का कोई अधिकार ही नहीं है। यदि वे संसदीय दल के अध्यक्ष होते तो भी उन्हें यह अधिकार नहीं होता, परंतु अभी तो वह कहीं हैं ही नहीं। पार्टी संविधान के अनुसार यह अधिकार मात्र राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष को है। वास्तव में उनके जैसे लोग पार्टी संविधान में आस्था रखते ही नहीं, उन्हें मात्र व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि से मतलब है।

उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि जदयू जनता की पार्टी है जिसे नीतीश कुमार ने खड़ा किया है। उपेंद्र कुशवाहा कितने अवसरवादी हैं यह कहने बताने की जरूरत है क्या, कहाँ- कहाँ गए, अपनी पार्टी बनाए और इस बार यहां आने के बाद भी शुरू से ही पार्टी को कमजोर करने का काम किया। महात्मा फुले के नाम पर बने संगठन से अपने कार्यकर्ताओं को जोड़े रखा। जबकि कुशवाहा समाज जनता दल यूनाइटेड पार्टी को अपना मानता है, अपना पुश्तैनी घर समझता है। हमारे समाज के घर में पार्टी के नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी लोगों के मान- सम्मान का पूरा- पूरा ख्याल रखा जाता है और यहीं से सब लोगों का कल्याण भी होता है।

उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ अपने स्वार्थ की राजनीति करते हैं, महात्मा फुले के नाम पर भी संगठन सिर्फ अपने फायदे के लिए बना रखा है। उपेंद्र कुशवाहा को यह समझना होगा कि पार्टी निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा के लिए होती है। मैं ज्यादा बोलना नहीं चाहता हूँ, एक बार उनके गांव जाकर देख लीजिए सब इतिहास- भूगोल पता चल जाएगा। जदयू में एक भी आदमी हिलने- डुलने वाले नहीं हैं, सब नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुट हैं।

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