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माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य को मातृशोक

पटना । भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य की मां बानी भट्टाचार्य का लगभग 91 साल की उम्र में विगत 5 जून की रात कोलकाता में निधन हो गया। वे लंबे अरसे से बीमार चल रही थीं। उनके निधन की खबर सुनकर माले महासचिव तत्काल दिल्ली से कोलकाता पहुंचे।

कोविड-19 महामारी की लगातार लहरों के बावजूद वे स्वस्थ और सुरक्षित रहीं, लेकिन हाल ही में वृद्धावस्था की समस्यायें जोर पकड़ने लगी थीं. जनवरी से अब तक उन्हें तीन बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।
उनकी अंतिम यात्रा में पश्चिम बंगाल के पार्टी नेताओं के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वेदश भट्टाचार्य, बिहार पार्टी के सचिव कुणाल और पोलित ब्यूरो के सदस्य अमर भी शामिल हुए।
दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने फेसबुक पोस्ट में अपनी मां को याद किया है। उनकी मां का जन्म तत्कालीन पूर्वी बंगाल और वर्तमान बांग्लादेश के बोगुरा जिले में हुआ था। उनका जीवन 1940 के दशक के दर्दनाक घटनाक्रमों से बाधित हुआ था। उनके पूरे परिवार को बोगुरा के दुबचिया से दिनाजपुर (वर्तमान में पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले का मुख्यालय) के बालुरघाट में प्रवासित होना पड़ा था।
दीपंकर ने लिखा है कि उनके, उनके परिवार और उनके संपर्क में आने वाले सभी दोस्तों और साथियों के लिए वह अपने पीछे प्यार और ऊर्जा से भरी एक प्रेरक विरासत छोड़ गई हैं। उन्होंने अपनी मां को याद करते हुए लिखा है कि वे उनके जीवन की पहली शिक्षिका थीं और जीवन के हर उतार-चढ़ाव के दौरान प्रोत्साहित व प्रेरित करती रहीं।
भाकपा-माले की बिहार राज्य कमिटी का. दीपंकर भट्टाचार्य की मां बेनी भट्टाचार्य के निधन पर गहरा शोक प्रकट करती है।

 

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