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हिंदी के ख्याति प्राप्त विद्वान प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह का 88 वर्ष की उम्र में निधन , हिंदी साहित्य के एक युग का अंत

हिंदी साहित्य के लिए उन्हें झारखंड हीं नहीं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी

चुन्नु सिंह

साहिबगंज (झारखंड)
साहिबगंज कॉलेज साहिबगंज के हिंदी के प्रोफेसर रहे प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह का आज मंगलवार को सुबह 7.30 बजे 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया । उनका जन्म 1937 में हुवा था ।उनके निधन पर उनके साथ काम करने वाले प्रोफेसर महेंद्र प्रसाद सिंह , नरेश कुमार सिंह, पूर्व कुलसचिव डॉक्टर सुधीर कुमार सिंह ने अन्य लोगों के साथ गहरा शोक वयक्त किया है । प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह 1975 में साहिबगंज कॉलेज साहिबगंज में अपना योगदान दिया था और सन 2000 में सिद्धू कानू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका से सेवानिवृत हुए थे ।
उनकी शिक्षा दीक्षा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी , बनारस से हुई थी ।

प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह हिंदी के एक प्रकांड विद्वान थे । वे अविभाजित बिहार और बाद के झारखंड हीं नहीं हिंदी के विद्वान के रूप में एक राष्ट्रीय पहचान रखते थे । उनकी लिखी गई नाटक , कहानी की पुस्तके आज भी कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं । उनकी ख्याति प्राप्त रचना बाघनखा अति लोकप्रिय हुई थी ।
प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह देश के हिंदी साहित्य के राष्ट्रीय ख्याति प्रोफेसर नटवर सिंह के मार्गदर्शन में अपनी पीएचडी की थी । राजमहल मॉडल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह को प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह का उनके विद्यार्थी के रूप में सानिध्य मिल चुका था ।प्रोफेसर रंजित कुमार सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा की वे आज भी पढ़ने लिखने में रुचि रखते थे । उन्होंने आगे जोड़ा की हिंदी सृजन में प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह जी का योगदान कभी भुलाया नही जा सकता । प्रोफेसर रंजित सिंह ने कहा की एक छात्र के रूप में मैं प्रोफेसर श्याम किशोर सिंह द्वारा निमित कक्षा लेना , समय से कक्षा में प्रवेश करना , हिंदी साहित्य को रोचक तरीके से पढ़ाना और उनकी हंसमुख चेहरा हमेशा उनके छात्रों के बीच जिंदा रहेगी । उन्होंने कहा की साहित्यकार हमेशा दिलों में धड़कन की तरह जीवित रहते हैं ।

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