जीवन के उजास का लोक पर्व है छठ : नीतू नवगीत
गांधी घाट पर गूंजे छठ के गीत- केलवा के पात पर उगेलन सूरुज देव झांके झुके कांचे ही बाँस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए
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पटना नगर निगम स्वच्छता जागरूकता अभियान की ब्रांड एंबेसडर और लोक गायिका गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने एन आई टी घाट पर छठ गीतों की प्रस्तुति करते हुए छठ पर्व के दौरान स्वच्छता के महत्व और पटना नगर निगम द्वारा स्वच्छता के लिए किया जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया ।
कांचे ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए , मार्बो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरझाए केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव झांके झुके जैसे गीतों की प्रस्तुति करते हुए डॉक्टर नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि छठ जीवन के उजास का पर्व है। पारंपरिक लोक गीतों की धुन पर जब पूरा समाज अपनी सांस्कृतिक विरासत को आंचल में समेटे प्रकृति के साथ आबद्ध होकर पूरी सादगी और स्वच्छता के साथ एकजुट खड़ा हो जाता है, तब छठ होता है। पूर्वांचल का यह त्योहार अब राज्य और देश की सीमाओं को लांघते हुए विश्व के अनेक देशों में पहुंच चुका है। वस्तुतः बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग देश-विदेश में जहां भी गए, अपने गमछे में यहां की संस्कृति को बांधकर ले गए। उनके साथ गई महिलाओं ने अपने आंचल में संस्कारों और लोकगीतों का खोइंचा लेकर गईं। तभी तो छठ का त्योहार अब चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, गोवा, दिल्ली, चंडीगढ़ इंदौर जैसे स्थानों पर तो मनाया ही जाता है; विदेशों में लंदन, बर्लिन, मास्को, वाशिंगटन और नेवार्क जैसे वृहद शहरों में भी मनाया जाता है।
मॉरीशस, फिजी और गुयाना जैसे देशों में तो हजारों लोग इस पर्व को मनाते हैं।छठ गीतों की एक बड़ी ही समृद्ध परंपरा रही है । विंध्यवासिनी देवी और शारदा सिन्हा ने जो छठी मैया के जो गीत गाए हैं, वह अभी लोगों की जुबान पर हैं । बिहार के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग पारंपरिक छठ गीत गाए जाते हैं। छठ पर्व के दौरान इन गीतों का बहुत महत्व होता है। लोकगीतों के बिना छठ पर्व अधूरे लगते हैं।