पटना । बिहार जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा गृहमंत्री अमित शाह की जनसभा को विफल करार दिया। उन्होंने कहा कि करोड़ो रूपये पानी की तरह बहाने के बावजूद अमित शाह के जनसभा का फ्लाॅप होना भाजपा के प्रति बिहार की जनता में व्याप्त आक्रोश का ताजा सबूत है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस रैली को सफल बनाने के लिए भाजपा के तमाम बडे नेतओ ने अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। विगत कई महीनों से लखीसराय समेत बिहार की जनता को बरगलाकर भीड़ जुटाने की योजना पर भाजपा के लोग कार्य कर रहे थे मगर इनका प्रयास औंधे मुंह गिर गया।
उमेश कुशवाहा ने कहा कि रैली में भीड़ जुटाने का मोर्चा स्वंय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एंव उनके आधा दर्जन केन्द्रीय मंत्रियों ने संभाला था। कई हेलीकाॅप्टर और हाईटेक बसें तैनात की गई थी। लखीसराय सहित 5 जिलों में इनके तमाम बड़े नेता घर-घर जाकर लोगों को जनसभा के लिए आमंत्रित कर रहे थे परंतु सभी प्रयासों के बाद भी गृहमंत्री की लखीसराय में भारी फजीहत हो गई थी। इससे साफ् संकेत मिलता है कि 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार के अंदर भाजपा का खाता खुलना नामुमकिन है।
आगे उन्होंने कहा कि अमित शाह घबराहट में अपना भाषाई सन्तुलन खो चुके हैं। जनता द्वारा चुने गए प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेकर अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करना उन्हें भारी पड़ने वाला है। सड़क छाप भाषा का प्रयोग कर अमित शाह ने गृहमंत्री के पद को भी कलंकित करने का काम किया है। यह सीधे तौर पर बिहार का अपमान है। उन्होंने कहा कि अमित शाह लखीसराय की जनसभा से एक बार फिर जुमलों का बौछार करने का काम किया है। राज्य सरकार की योजनाओं को भी अमित शाह ने केंद्र का नाम देकर दुष्प्रचार करने का काम किया है।
प्रदेश अध्यक्ष ने गृहमंत्री अमित शाह के बयान का पलटवार करते हुए कहा कि देश के भ्रस्टाचरियों को पार्टी में पनाह देना भाजपा के राजनीतिक चरित्र है। आज देशभर के भ्रष्टाचरियों के लिए भाजपा सबसे सुरक्षित जगह बन गई है। यही भाजपा वाले कुछ वर्ष पहले तक असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वासरमा और मुकुल राॅय को चोर कहकर संबोधित करते थे और पानी पी-पीकर कोसते थे, मगर आज ये दोनों नेता भाजपा में आते ही संत बन गए है, आगे उन्होंने कहा कि भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा पर अवैध खनन का आरोप लगा था मगर आज तक किसी केंद्रीय ऐजेंसी उन्हें जांच के घेरे में नहीं लिया है। बीते 9 सालों में किसी भाजपा नेता के उपर सीबीआई या ईडी की छापेमारी नहीं हुई है और जिन गैर-भाजपा नेताओं पर भ्रष्टाचार की जांच चल रही थी, भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी भी फाइलों को बन्द कर दिया गया। अमित शाह को अपने दल के भ्रष्टाचारी भी सदाचारी नजर आते हैं।