बजट में बिहार के विकास के लिए कोई योजना नहीं
पटना। बिहार का बजट आया है। बिहार जब भी तरक्की करता है उस समय ब्रेक लगाने का काम कर दिया जाता है । यह देश तीन बार तेजी से तरक्की किया है। 1991 में जब आर्थिक सुधार लागू किया गया, 1996 में अटल जी सरकार बनने पर तथा 2014 में मोदी सरकार के आगमन के बाद जबरदस्त तरक्की किया है। आज भाजपा प्रदेश मुख्यालय में बिहार सरकार के द्वारा पेश किये गये बजट पर प्रेसवार्ता के माध्यम से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि 15 वर्षो तक लालू शासन में बिहार के प्रत्येक व्यक्ति की आय 6 हजार थी। अब पूरे देश के प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 97 हजार है तो बिहार में प्रति व्यक्ति आय 50 हजार को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के वित्तमंत्री विजय चौधरी यह बतायें कि 10 लाख नौकरी को बजट से कहां गायब कर दिया गया। अब तक कमीशन के सर्विस को जोड़ लेंगे तब भी एक लाख नौकरी नहीं दे पा रहे हैं। बिहार के शिक्षक अपने ठगा महसूस कर रहे हैं। पूरा झूठ रचा जा रहा है। केन्द्र सरकार पंचायती राज विभाग को नल-जल का जो पैसा दिया उसे वापस किया जा रहा है।वापसी इसलिए हो रहा है कि केन्द्र राज्य सरकार के घोटाले को पकड़ लेगी। केन्द्र ने प्रत्येक व्यक्ति का 55 लीटर पानी मिल रहा है कि नहीं इसके जांच करेगी, इसीलिए नल-जल योजना के रूपये नहीं लिए जा रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि पूरे बजट का खास तलाकशुदा महिला को 10,000 से 25,000 किया है। टीएसवीपी में लोग की रक्षा करेंगे। बगल के उत्तर प्रदेश में 12 लाख करोड़ के निवेश करके एक शब्द नहीं बोला जा रहा है। लेकिन बिहार की सरकार इतने में ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। उद्योग लगाये जाने के बारे में कोई योजना की चर्चा नहीं की गयी। इथनॉल के क्षेत्र में जो काम प्रारंभ हुए वह केन्द्र सरकार की सहयोग से ही शुरू हुआ, अब तो उद्योगपति भी बिहार से भागने लगे हैं। बिहार सरकार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन को आभार की उनके प्रयास से बिहार में इथनॉल सहित कई यूनिट लगे तथा अन्य उद्योग भी प्रारंभ हुए। जबकि इस बजट में उद्योग लगाये जाने के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला गया। जीएसटी के बारे में गलत बयानबाजी किये गये। जबकि 1 लाख करोड़ की राशि बिहार को जीएसटी के कारण मिलती है। पिछले सत्र के बजट में 2 लाख 37 हजार करोड़ से इस सत्र के बजट ने 2 लाख 66 हजार करोड़ रूपया किया है, अगर औसत जोड़ लीजिए तो इस साल के बजट में एक रूपया भी नहीं बढ़ा है। मार्च तक पिछले बजट का खर्च कर लेंगे इस पर भी संशय है। केन्द्र सरकार ने मत्स्यजीवियों के लिए अलग से मंत्रालय बनाया तथा बजट में उसके लिए अलग से प्रावधान किये। बिहार सरकार के बजट में इस संदर्भ में कुछ नहीं दिखा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सभी पेंशन योजना में 1,000 रूपया दिये जाते हैं जबकि बिहार में वृद्धा पेंशन में राशि नहीं बढ़ाया गया। पीडीएस में कुछ नया नहीं जबकि उत्तर प्रदेश सरकार नमक, तेल, दाल भी मुफ्त में दे रही है। बिहार के पीडीएस में सभी सामग्री केन्द्र से मिलता है उसमें बिहार का एक रूपया नहीं लगता है। बिहार में उद्योग के प्रति कोई रूचि नहीं। यह सरकार उद्योग के नाम पर बालू- माफियाओं के द्वारा हजारो राउण्ड गोली चलवाने में तथा हत्या करवाने में पूरा समय गुजार रही है। बिहार सरकार के बजट में तलाकशुदा नारी को 10,000 से 25,000 की राशि दिये जाने तथा मदरसों के लिए 40 करोड़ रूपये दिये जाना यही खास है। इस बजट में बिहार के विकास के लिए कोई योजना नहीं है। बिहार के लोगों को ठगने का काम किया गया है।
प्रेसवार्ता में मुख्य रूप से भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संतोष पाठक, विवेकानंद पासवान, प्रेस पैनलिस्ट विनोद शर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश कुमार सिंह, राजेश कुमार झा उपस्थित रहे।