क्राइमबिहार

49 किलोग्राम गांजा के साथ दो छात्र गिरफ्तार, अंतरराज्यीय गिरोह का हिस्सा थे दोनों

गया। यदि आपके घर के किसी लड़के के पास अचानक से मोबाइल फोन आ जाए, गाड़ी आ जाए तो फिर आपको सतर्क हो जाने की जरूरत है। आपको अपने बच्चे से यह सवाल पूछना है कि उसके पास मोबाइल फोन कहां से आ रहा है गाड़ी कहां से आ रहा है ? हो सकता है कि आपका बच्चा मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह के गिरफ्त में आ गया हो और पैसे के लालच में उनके माल की डिलीवरी एक राज्य से दूसरे राज्य में कर रहा हो। जी हां, डेहरी आन सोन में पकड़े गए दो छात्र विपुल चंद पांडे और विवेक पांडे की कहानी कुछ इसी तरह की है। महंगे मोबाइल के शौक की वजह से दोनों मादक पदार्थों के तस्करों के जाल में फंस गए और उनके माल इधर से उधर करने लगे। लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और पहले ही खेप में पुलिस की गिरफ्त में आ गए। इनके पास से अलग-अलग दो बैग में 49 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया है जिसकी कीमत तकरीबन 5 लाख रुपए बताई जा रही है।
गया के रेलवे पुलिस अधीक्षक मुरारी प्रसाद के मुताबिक मार्च में गांजे की एक बड़ी खेत की बरामदगी के बाद पुलिस इलाके में गांजे की तस्करी को लेकर काफी चौकन्नी थी। इसी बीच उन्हें सूचना मिली की वे लोग गांजे का एक बड़ा खेत लेकर के पूरी से डेहरी ऑन सोन की ओर आ रहे हैं। पुलिस ने जाल बिछाकर के इन दोनों युवकों को डेहरी ऑन सोन में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से अलग-अलग बोगियों से गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों के पास से 49 किलो गांजा बरामद हुआ। इस गाने को यह लोग रमेश नामक एक व्यक्ति के हवाले करने वाले थे जिसके एवज में इन्हें 20 -20 हजार रुपया मिलना था। परंतु अपना काम पूरा पूरा करने के पहले ही ये लोग पुलिस की गिरफ्त में आ गए।
उन्होंने बताया कि इन के सरगना का नाम रमेश पांडे है। रमेश पांडे सेन की मुलाकात एक कोचिंग में हुई थी और उसने इन दोनों को पैसों का लालच देकर के उड़ीसा के पुरी से गांजा का खेप लाने के लिए तैयार कर लिया था। दोनों B.A. पार्ट वन के छात्र हैं और दोनों फुफेर है और मैं मेरे भाई भी हैं। दोनों आरा के रहने वाले हैं। गांजे के इस खेप को डालमियानगर से होते हुए नई दिल्ली और हरियाणा भेजा जाना था। उड़ीसा में इन लोगों को गांजे की डिलीवरी करवाने के लिए विधिवत फोन के माध्यम से कॉन्फ्रेंसिंग भी हुई थी। यानी कि गांजे की तस्करी के इस नेटवर्क में पूरा एक गिरोह व्यवस्थित तरीके से सक्रिय है। अपने काम को कुशलता पूर्वक अंजाम दिलाने के लिए यह लोग ऐसे छात्रों का इस्तेमाल करते हैं जिनको अपने जायज और नाजायज शौक पूरे करने के लिए पैसों की जरूरत है। बहरहाल पुलिस इन छात्रों की गिरफ्तारी के बाद से इनके पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है, जो गांजे की तस्करी में सक्रिय है। बहरहाल गांजा की तस्करी वाले इस नेटवर्क के उद्भेदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुलिस अधिकारियों में सुशील कुमार, सुनील कुमार द्विवेदी, पूर्णेन्दु कुमार सिंह और रोहित कुमार शामिल है।

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