4 एवं 5 नवंबर को वाराणसी में ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन ‘
हिन्दूविरोधी शक्तियों के विरोध में हिंदुओं का दबावतंत्र निर्माण करने हेतु एकजुट होंगे 75 से अधिक हिन्दू संगठन
वाराणसी । सनातन धर्म को बदनाम करके नष्ट करने का षडयंत्र, हमास जैसे आतंकवादी संगठन का समर्थन यह धर्मयुद्ध का आरंभ है । हेट स्पीच के नाम पर हिन्दुत्ववादियों को लक्ष्य बनाना, भारत यह मुसलमानों का पहला वतन है इसका प्रचार, हलाल अर्थव्यवस्था आदि के माध्यम से इस्लामिक राष्ट्र स्थापन करने के संकटका अंतिम समाधान भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही है । इस दृष्टि से विचारमंथन एवं कार्ययोजना बनाने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में आशापुर स्थित तनिष्क बैंक्वेट हॉल में 4 एवं 5 नवंबर को हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन होनेवाला है। इस अधिवेशन में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश तथा नेपाल के 75 से अधिक हिन्दू संगठनों के 275 से अधिक प्रतिनिधियों को निमंत्रित किया गया है ।
इस दो दिवसीय अधिवेशन में भारत एवं नेपाल में हिन्दू राष्ट्र निर्माण हेतु आवश्यक प्रयास, हिन्दू राष्ट्र विरोधकों का ‘नैरेटिव बिल्डिंग’, हेट स्पीच तथा ब्रेकिंग इंडिया का षडयंत्र, मंदिरों का सुप्रबंधन, जिहादी आक्रमणों का प्रतिकार, बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या एवं बदलती जनसांख्यिकी, उद्योग क्षेत्र में हिंदुओं की आत्मनिर्भरता, हिंदू विरोधी कानूनों द्वारा धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं का हो रहा दमन, दंगो में हिंदुओं की सुरक्षा, हिन्दू संगठनों में आपसी समन्वय, धर्मांतरण, हलाल जिहाद इत्यादि विषयों पर मान्यवर वक्ता दिशादर्शन करनेवाले हैं।
इस अधिवेशन में प्रमुखता से काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के विरुद्ध न्यायालयीन संघर्ष करनेवाले अधिवक्ता (पू.) हरिशंकर जैन, आसाम से इंटरनॅशनल वेदांत सोसायटी के संयुक्त महासचिव स्वामी स्वरूपानंद पुरी, अखिल भारतीय विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. कामेश्वर उपाध्याय, स्वामी करपात्री जी महाराज आश्रम धर्म संघ शिक्षा मंडल के महामंत्री श्री. जगजीतन पाण्डेय, नेपाल के विश्व हिन्दु महासंघ के सह अध्यक्ष श्री. शंकर खराल, ओरिसा से अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के सचिव अधिवक्ता त्रिमुलकुमार रेड्डी, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे सहित अनेक वरिष्ठ अधिवक्ता, उद्योगपति, विचारक, पत्रकार, मंदिर न्यासी तथा अनेक समवैचारिक सामाजिक, राष्ट्रीय और आध्यात्मिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहनेवाले हैं ।