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सुर संग्राम में मुंगेर की लक्ष्मी संध्या ने क्वालीफाई कर रचा इतिहास

लक्ष्मी को सेमीफाइनल और फाइनल में क्वालीफाई करने के लिए सुर संग्राम के आमंत्रण का है इंतजार

लालमोहन महाराज, मुंगेर

सुर संग्राम में मुंगेर की लक्ष्मी संध्या ने क्वालीफाई कर इतिहास रच दिया है ।ऐसा करने वाली मुंगेर जिले के गंंगटा थाना क्षेत्र के धन्नाडीह निवासी संंगीत शिक्षक बालमुुकुुंद मुरारी की 17 वर्षीय पुत्री लक्ष्मी संध्या पहली भोजपुरी गायिका बनी है। सुर संग्राम में लक्ष्मी संध्या से पहले अब तक किसी भी मुंगेर की भोजपुरी गायिका ने क्वालीफाई नहीं किया था। मात्र 6 वर्ष की आयु से ही अपने पिता संग गांव के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छोटे-मोटे भक्ति गीत गाने वाली सुदूर गांव की रहने वाली लक्ष्मी संध्या ने पत्रकारों को बताया कि मैं सोच भी नहीं सकती थी कि सुर संग्राम में देश के जाने माने ख्याति प्राप्त गायकों के समक्ष गा पाउंगी। बता दें कि पटना, गया व भागलपुर मे ऑडिशन देने के बाद 16 सितंबर को मुंबई के लिए चयनित हुई लक्ष्मी संध्या की स्थिति टॉप 5 में है। मशहूर भोजपुरी गायक मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ, कल्पना पटवारी के समक्ष लक्ष्मी संध्या के द्वारा गाए गए गीत’ सासु मोरे रामा, ननदिया मोरी रे सू सू करत, जानी जा तू छोड़ के बलमुआ सहित अन्य गीतों पर सभी झूम उठे। लक्ष्मी संध्या के इस परफॉर्मेंस पर मुंगेर वासी अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं । पत्रकारों के द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए लक्ष्मी संध्या ने अपना आइडल कल्पना पटवारी को बताया है।वहीं लक्ष्मी संध्या के पैतृक गांव स्थित घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है ।अब लक्ष्मी संध्या को सेमीफाइनल और फाइनल में क्वालीफाई करने के लिए सुर संग्राम के आमंत्रण का इंतजार है। वही लक्ष्मी की प्रशंसा करते हुए भाई मुकुल राजन का कहना है कि लक्ष्मी के गले में साक्षात मां सरस्वती का वास है। गायन के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ सकती है। उन्होंने अन्य भाइयों से अपने बहनों में छुपी प्रतिभा को पहचाने का आह्वान किया । उन्होंने कहा कि हर भाई को बहन में छुपी प्रतिभा को पहचानना चाहिए और उसे हर संभव सहयोग करना चाहिए ।वही लक्ष्मी संध्या के पिता संगीत शिक्षक बालमुकुंद मुरारी और मां अंजना भारती कहती है कि बहुत खुशी की बात है कि उनकी बेटी ने सुर संग्राम में क्वालीफाई कर मुंगेर को गौरवान्वित किया है। बेटियां बोझ नहीं होती है। बेटियों की प्रतिभा को पहचाने और उसे हर संभव सहयोग करें ।

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