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चुन्नु सिंह
साहिबगंज (झारखण्ड)
साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा गवर्नमेंट आफ यू०के० मैनचेस्टर इंग्लैंड से सेवानिवृत चिकित्सक डॉ धुनी सोरेन का व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.एस आर आई रिजवी ने उन्हें पुष्पगुच्छ एवं अंग वस्त्र भेंट कर किया । डॉ रणजीत कुमार सिंह प्राचार्य “मॉडल कॉलेज राजमहल” व आदिवासी कल्याण छात्रावास के छात्र नायक विनोद मुर्मू एवं अन्य छात्र-छात्राओं द्वारा उन्हें पुष्प कुछ भेंट कर उनका पारंपरिक स्वागत एवं अभिनंदन किया गया । डॉक्टर धूनी सोरेन का स्वागत करते हुवे अपने स्वागत भाषण में प्रो.रिजवी ने कहा कि हमारे महाविद्यालय के लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है जो डॉ.धुनी सोरेन जैसे चिकित्सक, पर्यावरणविद् ,समाजसेवी का आगमन हुआ है , आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि उनकी कही गई बातें और उनके जीवन दर्शन से छात्र -छात्राएं प्रेरित होंगे
जीवन परिचय
धुनी सोरेन जी का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान 1935 में संयुक्त बिहार के संथाल परगना के बोआरीजोर गांव में एक संथाल परिवार में हुआ । पटना साइंस कॉलेज से जीव विज्ञान विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज पटना में दाखिला लिया वहां रहते हुए उन्होंने सरकार की छात्रवृत्ति के साथ पायलट के रूप में भी योग्यता प्राप्त की। भारत से 1965 में उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड जाने से पहले जामताड़ा में सिविल सहायक सर्जन के रूप में कार्य किया। वह अभी भी इंग्लैंड में अपने बड़े हो चुके बच्चों और उनके बच्चों के साथ रहते हैं और भारत के नियमित आगंतुक हैं तथा सामाजिक सांस्कृतिक शैक्षणिक दान कार्य करते हैं।
अपने व्याख्यान में डॉ.धुनी ने कहा की गुरु एवं तकनीकी की सहायता से छात्र-छात्राएं उस हर मुकाम को हासिल कर सकते हैं जिसकी वो इच्छा रखते हैं । शिक्षा ,पर्यावरण ,स्वास्थ्य और समाज के संदर्भ में भी उन्होंने अनेक मूल्यवान विचार रखें।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता एवं अन्य श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित राजमहल मॉडल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.रंजीत कुमार सिंह ने किया । डॉ.रणजीत ने कहा कि डॉ धुनी सोरेन जैसे महान व्यक्तित्व का साहिबगंज की धरती पर आना बड़े हर्ष एवं गौरव की बात है। जिस समय उच्च शिक्षा ग्रहण करना संभ्रांत परिवार के लोगों के लिए दुर्लभ था ऐसे में डॉ.धुनी ने अत्यंत ही साधारण आदिवासी परिवार से निकलकर अपने संघर्ष की बदौलत सफलता के उस मुकाम को हासिल किया जो हम सबों के लिए प्रेरणादायी है। डॉ रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि आज विश्व वन दिवस है तो जंगल जीवित समुदाय में जिसमें जीव जंतु पेड़ पौधे कीड़े फतिंगे सभी रहते हैं पेड़ है तो जल है जल है तो जीवन है। अतः पेड़ पौधे लगाए उसका सुरक्षा उत्पाद और वन विहार हम करें।
कार्यक्रम में मच संचालन बीएड विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर नितिन घोष ने किया । इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो.कुमार प्रशांत भारती, डॉ.राधा सिंह, डॉ.नलिन विलोचन डॉ.रविंद्र प्रसाद, प्रो.हेमलता शाह डॉक्टर रश्मि रानी एवं प्रोफेसर जिशु हांसदा समेत अनेक शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।