
चुन्नु सिंह
साहिबगंज। 14.04.2025
भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती के उपलक्ष्य में सोमवार को “साहिबगंज कॉलेज ” परिसर स्थित नंदन भवन में विचार गोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि और दीप प्रज्वलन से की गई।
- इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एस.आर.आई. रिज़वी, डॉ. रणजीत कुमार सिंह, डॉ. पोदो सोरेन, डॉ. मरियम हेंब्रम, डॉ. सिदाम सिंह, डॉ. रीना कुमारी समेत शिक्षकों और छात्रों ने बाबा साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
प्राचार्य ने विचारों को आत्मसात करने का किया आह्वान
प्राचार्य प्रो. रिज़वी ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि “बाबा साहब का जीवन संघर्ष, समानता, शिक्षा और आत्म-सम्मान का प्रतीक है। उनके विचार आज भी समाज को नई दिशा देने में सक्षम हैं।” उन्होंने कहा –
- शिक्षा से ही जीवन में बदलाव संभव है।
- योग्यता हो तो विरोधी भी सम्मान करते हैं।
- किताबों से दोस्ती करें, यही असली पूंजी है।
- असफलता को अनुभव बनाकर सफलता में बदलें।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मिले सामाजिक संदेश
कार्यक्रम में छात्रों ने “एक पेड़ मां के नाम” नामक नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें पर्यावरण संरक्षण का गूढ़ संदेश दिया गया। एक अन्य प्रस्तुति में छात्रों ने टेक्नोलॉजी के विवेकपूर्ण उपयोग का संदेश देते हुए कहा कि “इंसान को टेक्नोलॉजी का स्वामी बनना चाहिए, गुलाम नहीं।”
मुख्य व विशिष्ट अतिथियों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मरियम हेंब्रम ने की जबकि प्रो. पदो सोरेन मुख्य अतिथि और डॉ. रणजीत कुमार सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। प्रो. कुणाल कांत वर्मा, डॉ. सिदाम सिंह मुंडा सहित अन्य गणमान्यजनों को अंगवस्त्र एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया गया।
छात्रों की ओर से निकाली गई पदयात्रा
जयंती अवसर पर साहिबगंज कॉलेज छात्रावास के छात्रों द्वारा बाबा साहब के विचारों के प्रचार-प्रसार हेतु एक पदयात्रा भी निकाली गई। इस पदयात्रा में प्रेम किशोर, सोनू रजक, संजीव रजक, चितरंजन रविदास, अभय पासवान, ऋतुराज, दिवाकर पासवान, प्रमोद दास, रवि रविदास सहित अनेक छात्र शामिल रहे।
कार्यक्रम में डॉ. दिवाकर प्रसाद निराला, डॉ. जितेन्द्र साह, डॉ. प्रसंजीत दास समेत कई विभागों के शिक्षकों की उपस्थिति रही। समापन पर सभी ने बाबा साहब के आदर्शों को आत्मसात करने और उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया।