पटना । अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा(खेग्रामस) और मनरेगा मजदूर सभा की संयुक्त बैठक आज पटना में विधायक निवास पर हुई। शत्रुघ्न सहनी,प्रदीप कुमार और शिवनाथ राम की अध्यक्षता में हुई बैठक से यह मांग की गई कि दलित-गरीबों को उजाड़ने की कार्रवाई पर सरकार तत्काल रोक लगाए और विधानसभा के आगामी मॉनसून सत्र से कानून बनाए।
गरीबों के वास-आवास के आंदोलन की अगुवाई करने वाला संगठन खेग्रामस ने तय किया है कि सभी भूमिहीनों,पर्चा धारी गरीबों और सरकारी नोटिस प्राप्त झुग्गी वासियों तथा बुल्डोजर के शिकार लोगों की जनसुनवाई प्रति महीना एक तारीख को पटना के राज्य कार्यालय में आयोजित किया जायेगा जिसमें खेग्रामस के नेतागण और भाकपा माले के विधायक सह खेग्रामस नेतागण भाग लेंगे। इसकी विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी। सरकार को तमाम बसावटों का सर्वे कर नया वास आवास कानून बनाना चाहिए। संगठन इस मांग पर राज्यव्यापी अभियान चला रहा है।
बैठक से बिहार में मनरेगा की दयनीय स्थिति पर चिंता जाहिर किया गया। संगठन ने नारा दिया है – मनरेगा है मजदूरों का, ठेकेदारों-अफसरों की जागीर नहीं। संगठन ने मांग की है कि मनरेगा निगरानी परिषद प्रखंडों में गठित किया जाए। मोदी सरकार द्वारा तय मनरेगा मजदूरी मजदूरों के साथ महाविश्वासघात है। बैठक से प्रस्ताव पारित किया गया कि मनरेगा मजदूरों को केंद्र सरकार की निर्धारित न्यूनतम मजदूरी दी जाए। बिहार विधानसभा से ऐसे प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजने की भी मांग की गई ।
बैठक को अन्य लोगों के अलावे पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद,विधायक सह खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यदेव राम और राष्ट्रीय महासचिव धीरेंद्र झा ने संबोधित किया।