झारखण्डराज्य

राजमहल की पहाड़ियों पर मंडरा रहे खतरे के बीच मॉडल कॉलेज में जागरूकता की पहल

27 मई को होगा सेमिनार-काव्य गोष्ठी

रिपोर्ट ~चुन्नु सिंह 

राजमहल, साहिबगंज | झारखंड की धरोहर मानी जाने वाली राजमहल की पहाड़ियां आज पर्यावरणीय दोहन और खनन के दबाव में हैं। इन्हीं ज्वलंत मुद्दों को लेकर मॉडल कॉलेज, राजमहल 27 मई 2025 को एक विशेष सेमिनार सह काव्य गोष्ठी का आयोजन करने जा रहा है, जिसका विषय है—“पर्यावरण और राजमहल की पहाड़ियां”

इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ अकादमिक विमर्श नहीं, बल्कि जनभागीदारी को बढ़ावा देना है—ताकि छात्र, शोधार्थी और आम नागरिक मिलकर राजमहल की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को बचाने की दिशा में आवाज़ उठा सकें।

कॉलेज प्राचार्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह के अनुसार, कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में होगा और देशभर के पर्यावरणविद, लेखक और शिक्षक इसमें शामिल होंगे। कुलपति प्रो. (डॉ.) कुनुल कंदीर को इस आयोजन का मुख्य संरक्षक नामित किया गया है।

कौन होंगे मुख्य चेहरे?

  • श्री कुमार मनीष अरविन्द, पूर्व IFS अधिकारी, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता
  • डॉ. एस. के. सिन्हा, भूविज्ञानी और पूर्व रजिस्ट्रार, VBU हजारीबाग
  • डॉ. राजेश कुमार, अंग्रेजी साहित्य विशेषज्ञ
  • श्री गोपाल मंडल, राजमहल के कवि जिनकी लेखनी पहाड़ों की पीड़ा कहती है

वृक्षारोपण के साथ होगा संदेश का समापन:
कार्यक्रम के अंत में अतिथि वृक्षारोपण करेंगे, यह दर्शाने के लिए कि ‘कविता और क्रिया’ दोनों साथ चल सकते हैं।

सार:
राजमहल की पहाड़ियों को बचाने की बात अक्सर फाइलों में दब जाती है—लेकिन अब कविता और चेतना मिलकर पहाड़ों की पुकार बनेंगी।

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