बिहारराजनीति

भाजपा के लिए भेदिया का काम कर रहे थे जीतन राम मांझी : नीतीश कुमार

राजभवन में आयोजित मंत्रिमंडल के सदस्य के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज राजभवन में आयोजित मंत्रिमंडल के सदस्य के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुए।राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजभवन स्थित दरबार हाॅल में श्री रत्नेश सादा कोे मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

कार्यक्रम के पश्चात मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत की। जीतन मांझी के महागठबंधन सरकार से अलग होने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने श्री जीतन राम मांझी से कहा था कि अपनी पार्टी का जदयू में विलय कीजिये या फिर अलग हो जाइए। अगर वे साथ रहते तो भाजपा को सूचना पहुंचाते रहते। देश की विपक्षी पार्टियों की पटना में बैठक होने वाली है। वो चाहते थे कि उस बैठक में वो भी रहें। ये बात सबको मालूम है कि वो भाजपा के लोगों से मिल रहे थे। हमारे यहां भी वे आकर मिल रहे थे और सब बात कहते थे। इसकी जानकारी मुझे थी। एक बार हमसे जब वो मिलने आए तो हमने उनसे कहा कि आपको हमने जितना सम्मान दिया है उतना कोई और नहीं दे सकता है। आप या तो अपनी पार्टी को जदयू में मर्ज कीजिए या फिर अलग होना है तो अलग हो जाइये। उन्होंने पार्टी के मर्ज होने को नहीं स्वीकार किया और अलग हो गए। विपक्षी दलों की बैठक में सबलोग अपनी-अपनी पार्टी की बात करते और अगर ये लोग साथ रहते तो बैठक में जो कुछ भी बातें होती वो सारी बातें भाजपा को खबर हो जाती। हम तो अपने कोटा से उनको मंत्री बनाए थे।
रत्नेश सादा को मंत्री बनाए जाने से संबंधित प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि रत्नेश सादा को बहुत पहले से हम जानते हैं। तीसरा टर्म चुनाव जीतकर आए हैं। हमने रत्नेश सादा को बुलाया और पार्टी के अन्य लोगों से भी बात की, उसके बाद गवर्नर साहब से मंत्री बनाए जाने को लेकर बात हुई। श्री संतोष कुमार सुमन के इस्तीफा को हमने राज्यपाल को भेजवा दिया और उसे स्वीकार कर लिया गया।
लोकसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने के पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को यह अधिकार है कि वह चाहे तो चुनाव पहले करा सकता है। जिस सरकार को बहुमत हो पहले भी चुनाव करा सकता है। हमलोग श्रद्धेय अटल जी के साथ थे तो उन्हीं की पार्टी के लोगों ने आम चुनाव समय से 3-4 माह पहले ही करा दिया था। हालांकि अटल जी ऐसा नहीं चाहते थे। अपोजिशन की यूनिटी की शुरुआत हो गई है तो उनलोगों को ऐसा लग सकता है कि ये लोग मिलकर आगे बहुत मूवमेंट करेंगे तो ज्यादा नुकसान होगा, इसलिए वे लोग पहले भी चुनाव करा सकते हैं। हमने तो ऐसे ही कहा था। इसकी संभावना हमेशा रहती है, इसलिए हमने सारी पार्टियों को अलर्ट किया है कि आपलोग मिलकर लड़िएगा तभी आपको विजय मिलेगी।

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