बीबीसी पर आयकर की छापेमारी संविधान और लोकतंत्र पर खतरा बताया जदयू और राजद ने
देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में है: उमेश सिंह कुशवाहा
बीबीसी दफ्तर पर छापेमारी, अघोषित आपातकाल : चित्तरंजन गगन
पटना। जनता दल यूनाईटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बीबीसी के दफ्तरों पर आयकर की छापेमारी को चैंकाने वाली कार्रवाई बताते हुए कहा कि ये छापे स्पष्ट करते हैं कि देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में है। देश में क्या हो रहा है और संस्थानों के साथ किस प्रकार खिलवाड़ किया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने पहले बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित किया और अब उसके दफ्तरों पर छापेमारी की जा रही है। दूसरी ओर जिस अडानी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं उनके यहाँ छापेमारी करने की बजाए केंद्र सरकार उन्हें बचाने में लगी है। मोदी सरकार ने पहले दैनिक भास्कर, फिर न्यूज लौंड्री और अब बीबीसी के दफ्तरों पर छापा मार कर यह प्रमाणित कर दिया है कि लोकतंत्र में उनकी आस्था नहीं बची है। ये लोग लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ध्वस्त करने में लगे हैं। इनकी यह कार्रवाई अघोषित आपातकाल जैसी है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बीबीसी द्वारा 2002 गुजरात दंगों पर बनायी गयी डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा बताते हुए केंद्र सरकार ने इसकी स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। आज आयकर विभाग द्वारा सुबह साढ़े ग्यारह बजे शुरू की गयी छापेमारी में दिल्ली और मुंबई स्थित बीबीसी के दफ्तरों में कागजों और कंप्यूटर के डेटा को खंगाला जा रहा है। साथ ही सभी कर्मचारियों के फोन बैकअप लेने के लिए जब्त किये गए हैं। जबकि 1927 में शुरू बीबीसी 40 भाषाओं में खबरें प्रसारित करता है, जिसका मैनेजमेंट फॉरेन एंड कॉमेनवेल्थ ऑफिस के जरिए होता है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर हैं।
बीबीसी दफ्तर पर छापेमारी, अघोषित आपातकाल : चित्तरंजन गगन
वहीं राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बीबीसी के दफ्तर पर सीबीआई की छापेमारी की तीखी शब्दों में निन्दा करते हुए कहा है कि आज देश में अघोषित रूप से आपातकाल की स्थिति लागू कर दी गई है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले बीबीसी द्वारा बनाए गए डाक्यूमेंट्री को प्रतिबंध कर दिया गया था। और आज उसके दफ्तर पर सीबीआई की छापेमारी हो रही है। इन घटनाओं से आपातकाल की याद ताजा हो जाती है। उस समय की सरकार द्वारा तो एक वैधानिक प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए देश में आपातकाल लगाया था। पर आज तो बगैर आपातकाल लागू किए हीं आपातकाल से भी भयावह स्थिति पैदा कर दी गई है। सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति को देशद्रोही करार कर दिया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली गई है। सीबीआई, आईटी, ईडी जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल सरकार के गलत और जनविरोधी नीतियों का विरोध करने वाले व्यक्तियों को परेशान एवं बदनाम करने के लिए खुलेआम किया जा रहा है। जबकि टैक्स हेवन देशों में फर्जी सेल कम्पनियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर घोटाले करने वालों पर सीबीआई, आईटी, ईडी और सेबी जैसी संस्थाएं चुप्पी साधे हुए है।