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पीरपैंती स्टेशन का नया स्वरूप: आधुनिकता में रची-बसी सांस्कृतिक विरासत

दिव्यांगजन-अनुकूल सुविधाओं और हाईटेक ढांचे से सुसज्जित स्टेशन को मिला नया जीवन , 22 मई को उदघाटन की जोर शोर से हो रही तैयारी

 रिपोर्ट ~ चुन्नु सिंह 

पीरपैंती ( भागलपुर ) 19.05.2025

भारतीय रेलवे द्वारा पूर्व रेलवे के मालदा मंडल के पीरपैंती रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास कार्य पूर्ण हो चुका है और अब यह स्टेशन आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बनकर उभरा है। नया स्टेशन भवन न केवल यात्री सुविधाओं के लिहाज़ से उन्नत है, बल्कि इसकी वास्तुकला स्थानीय कला और ऐतिहासिक स्मारकों से प्रेरित है, जो इसे एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती है।

पुनर्विकास के अंतर्गत स्टेशन पर कई महत्वपूर्ण सुविधाओं का विकास किया गया है। इनमें वेटिंग रूम, एसी लाउंज, एलिवेटेड प्लेटफॉर्म, आधुनिक टॉयलेट, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड, एलईडी लाइटिंग, फूड स्टॉल, वाटर वेंडिंग मशीन और सीसीटीवी निगरानी प्रणाली जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टिकट काउंटर को और अधिक सुव्यवस्थित किया गया है, वहीं स्टेशन परिसर को हरा-भरा और स्वच्छ रखने के लिए हरित क्षेत्र भी विकसित किए गए हैं।

स्टेशन को पूरी तरह दिव्यांगजन – अनुकूल बनाया गया है। रैम्प, ब्रेल साइनेज, टैक्टाइल पाथ और विशेष शौचालय जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं, जिससे सभी वर्गों के यात्रियों को बिना किसी बाधा के सुविधा प्राप्त हो सके।

स्टेशन की आंतरिक सज्जा में “अंग प्रदेश” की “मंजूषा चित्रकला” जैसी स्थानीय कलाओं की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। ज्ञात रहे कि मंजूषा कला चित्रकला में अंग प्रदेश की बिहुला ~ विषहरी की कथा को चित्रों में उकेरा जाता है  । साथ ही, बाहरी संरचना में आसपास के ऐतिहासिक धरोहरों की प्रेरणा झलकती है, जो आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम प्रस्तुत करती है।

भारतीय रेलवे का यह प्रयास न केवल यात्री अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है, बल्कि यह सांस्कृतिक संरक्षण की उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। पीरपैंती स्टेशन अब केवल एक ट्रांजिट प्वाइंट नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक बन चुका है।

स्थानीय लोगों और यात्रियों ने स्टेशन के नए स्वरूप की सराहना करते हुए इसे “गौरव की पहचान” बताया है।

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