पटना। जदयू मुख्यालय के कर्पूरी सभागार में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता श्री हिमराज राम एवं सुश्री अनुप्रिया ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
इस दौरान पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ब्रिटिश काल से ही बिहार के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। उन्होंने आंकड़े के माध्यम से बताया कि 1877 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा बिहार को 100 रुपए, मुम्बई को 374 रुपए, पंजाब को 244 रुपए, म0प्र0 को 185 और उ0प्र0 को 140 रुपए मिलते थे। बिहार के साथ भेदभाव को नई बात नहीं है।
नीरज कुमार ने कहा कि धारा 371 के तहत गुजरात और महाराष्ट्र के पिछड़े जिलों को विशेष दर्जा प्राप्त है जिनमें गुजरात के भावनगर, जामनगर, अमरेली, जूनागढ़, कच्छ, पोरबंदर, राजकोट, सुरेंद्रनगर, गिसोमनाथ है लेकिन बिहार के 28 जिले बाढ़ और सुखाड़ से हर वर्ष प्रभावित रहते हैं लेकिन बिहार को अब तक ना तो स्पेशल स्टेटस मिला और नहीं स्पेशल कैटिगरी। भाजपा को बताना चाहिए कि क्या बिहार ही देश का सबसे विकसित राज्य है? उन्होंने पूछा कि भाजपा जातीय गणना का श्रेय लेने के लिए तो आगे आती है लेकिन विशेष राज्य के दर्जे का श्रेय क्यों नहीं लेती?
नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि बिहार भाजपा के नेताओं को बिहारीपन का एहसास नहीं है। वे लोग बिहारी बाद में हैं पहले भाजपाई है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मानसिकता पिछड़ा विरोधी है। पिछडों का विकास भाजपा को नागवार गुजरता है। यही वजह है कि जातीय गणना को रोकने के लिए भाजपा के लोगों ने हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक चक्कर लगाया। यहां तक की केंद्र सरकार के अटाॅर्नी जनरल स्वयं सुप्रीम कोर्ट में जातीय गणना को रोकने के लिए खड़े हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रवृत्ति योजना और जगजीवन राम छात्रावास योजना को भी बंद कर दिया गया। श्री नीरज कुमार ने कहा कि भाजपा अगर आरक्षण विरोधी नहीं है तो बिना विलंब किए 75 फ़ीसदी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करें। और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष बिहार भाजपा के नेता इस मांग को रखें। श्री नीरज कुमार ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जबसे बिहार की बागडोर संभाली है तबसे विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं।