पटना के डॉ विनय कुमार ने इंडियन साइकाएट्रिक सोसायटी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ग्रहण किया पदभार
भुवनेश्वर में चल रहे इंडियन साइकाएट्रिक सोसायटी का 74वें वार्षिक अधिवेशन में पटना के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ विनय कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। इस पद के लिए वे पिछले साल जनवरी में निर्वाचित हुए थे। इंडियन साइकाएट्रिक सोसायटी का जन्म 1948 में पटना में हुआ था। डॉ कुमार इस पद पर पहुँचने वाले पहले बिहारवासी हैं।
डॉ विनय बिहार के अत्यंत प्रसिद्ध और व्यस्त मनोचिकित्सक तो हैं ही, प्रसिद्ध कवि और लेखक भी हैं। इनकी कविता की पाँच और गद्य की दो किताबें प्रकाशित हुई हैं और बेहद चर्चित भी रही हैं। डॉ कुमार ने मनोचिकित्सा की पाँच किताबों का सम्पादन भी भी किया है देश और देश के बाहर सराही गयी हैं।
पद ग्रहण के बाद अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ विनय कुमार ने मनोचिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव का आवाहन किया और मेंटल हेल्थ केयर ऐक्ट में संशोधन का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि देश को एक ऐसे मेंटल हेल्थ म्यूज़ियम की ज़रूरत है जो देखने वाले को मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रेरित करे। उन्होंने टेली मेंटल हेल्थ की स्थापना पर भी बल दिया। देश के हज़ारों मनोचिकित्सकों को सम्बोधित करते हुए डॉ विनय ने घोषणा की कि इस वर्ष का थीम है – प्रसन्न परिवार स्वस्थ मन Happy Family Healthy Mind. उन्होंने कहा कि इंडियन साइकाएट्रिक सोसायटी के सदस्य पूरे देश में यह अभियान अगली जनवरी तक चलाएँगे।
रचनात्मकता के मनोवैज्ञानिक लाभ पर बात करते हुए डॉ कुमार ने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति यांत्रिक और व्यावसायिक हो गयी है। यही हाल रहा तो कम्प्यूटर पे हम नहीं हम पे कम्प्यूटर राज करेंगे। उन्होंने देश के शिक्षा बोर्डों का आवाहन किया कि पढ़ाई को रचनात्मकता से जोड़ें क्योंकि इसके अभाव में युवा पीढ़ी में यांत्रिकता और प्रकृति नाशी भौतिकता बढ़ रही है। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में सरकार से आग्रह किया कि कला को स्वास्थ्य से जोड़ने के लिए आवश्यक क़दम उठाएँ क्योंकि कलाएँ मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा भी करती है और मानसिक रोगों से मुक्ति में भी मदद करती हैं। इसके द्वारा एक रोज़गार का सृजन हो सकता है। डॉ कुमार के प्रस्तावों का अमेरिका, ब्रिटेन और स्विटज़रलैंड से आए मनोचिकित्सकों ने भी स्वागत किया। डॉ कुमार ने कहा कि वे इसके लिए अभियान चलाएँगे।