पटना उच्च न्यायालय के अतिक्रमण हटाने के आदेश के आलोक में पीरपैंती के मजरोही में 40 घर तोड़े गए .. अधिकांस पीड़ित पटना पहाड़िया समुदाय के…हरे भरे पेड़ भी ढहा दिए गए
- पटना उच्च न्यायालय के अतिक्रमण हटाने के आदेश के आलोक में पीरपैंती के मजरोही में 40 घर तोड़े गए ..
अधिकांस पीड़ित पहाड़िया समुदाय के…हरे भरे पेड़ भी ढाह दिए गए
पीरपैंती ..
पीरपैंती प्रखंड के ओलापुर पंचायत मजरोही गांव में सावन के दूसरी सोमवारी को 40 कच्ची ~ पक्की आशियाने को पटना उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में ध्वस्त कर दिया गया । बताया गया की जल जीवन हरियाली योजना को सफल बनाने के लिए सेरमारी मौजे के मजरोहि पोखर के पास के जमीन पर पेड़ पौधे लगाए जाने थे । परन्तु उक्त जमीन पर 50 वर्षों से भी ज्यादा समय से पहाड़िया जनजाति के लोग अपना आशियाना बना कर रह रहे थे । पहाड़िया जनजाति के अलावा वहां कुछ अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के अति गरीब लोग भी आ कर बसे हुवे थे । सरकारी हाकिमों के पटना उच्च न्यायालय के दौड़ में पहाड़िया जनजाति के लोग टिक नही सके और मुकदमा सरकार के पक्ष में गया और उन्हें जमीन खाली करने की नोटिस मिल गई थी । बताया जाता है की कुल 39 भूमिहीनों में से आज 27 उन भूमिहीनों का आशियाना ध्वस्त कर दिया गया जिन्हे बसने के लिए टुंडवा मुंडवा मौजे में जमीन बसने के लिए बंदोबस्त कर दी गई थी । हालाकि अतिक्रमण हटाने के समय लोगों ने विरोध किया । 39 भूमिहीनों में 12 भूमिहीनों को अभी भूमि बंदोबस्ती की प्रक्रिया में है इसलिए उन 12 लोगों का घर अभी नहीं तोड़ा गया है । बंदोबस्ती की प्रक्रिया लगभग एक हफ्ते में पूरी होने के बाद उनकी भी आशियाने को ध्वस्त कर दिया जाएगा । सबसे बड़ी बात ये है की जो पहाड़िया जनजाति के लोग कभी पहाड़ छोड़ कर सामान्य जीवन जीने के लिए आम समाज के बीच आए थे उन्हें पुनः उसी पहाड़ पर यानी टुंडवा मुंडवा मौजे के पहाड़ पर जमीन बंदोबस्त कर उसी पहाड़ी जीवन जीने के लिए भेजने की प्रक्रिया कर दिया गया है । हालाकि अभी तक किसी भी आदिवासी पहाड़िया जनजाति ने टुंडवा मुंडवा में अपना आशियाना नही बनाया है । बड़ा सवाल ये है की अभी बरसात का मौसम पीड़ित काटेंगे कैसे….




